वक्फ संशोधन कानून 2025 को मणिपुर के मुस्लिम विधायक ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, बताया ST मुसलमानों के अधिकारों का हनन

नई दिल्ली, 10 अप्रैल 2025: मणिपुर विधानसभा में Kshetigao से NPP के विधायक शेख नूरुल हसन ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में उन्होंने कहा है कि यह कानून इस्लाम मानने वाले अनुसूचित जनजातियों (STs) के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का सीधा उल्लंघन है।

हसन ने इस संशोधन के तहत Section 3E का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें Fifth और Sixth Schedule के अंतर्गत आने वाले ST समुदाय की जमीन को वक्फ घोषित करने पर रोक लगाई गई है। इससे ST मुसलमानों को अपनी संपत्ति धार्मिक उद्देश्यों के लिए वक्फ करने से रोका जा रहा है, जो उनके धार्मिक अधिकारों का हनन है।

वक्फ बाय यूज़र की मान्यता खत्म

याचिका में कहा गया है कि वक्फ के पुराने प्रावधानों में Waqf by user यानी लंबे समय से धार्मिक कार्यों में उपयोग हो रही जमीन को भी वक्फ माना जाता था। इसे अब नए संशोधन में पूरी तरह खत्म कर दिया गया है, जो सुप्रीम कोर्ट के राम जन्मभूमि केस में दिए गए फैसले का भी उल्लंघन है।

इस्लाम के पालन का 5 साल का सबूत

संशोधन में 5 साल तक इस्लाम के पालन का सबूत देना अनिवार्य किया गया है, जिसे याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत जीवन में अनुचित हस्तक्षेप बताया। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति की धार्मिकता को सरकार या कोई संस्था तय नहीं कर सकती।

वक्फ-अल-अवलाद और उत्तराधिकार

संशोधन के अनुसार अब वक्फ-अल-अवलाद (परिवार के लिए वक्फ) से महिलाओं और उत्तराधिकारियों के अधिकार नहीं छीने जा सकते। याचिकाकर्ता ने इसे वक्फ की धार्मिक प्रकृति में राज्य का हस्तक्षेप बताया।

गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्यता

2025 के अधिनियम में Central और State Waqf Boards में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्यता की गई है, जिसे याचिकाकर्ता ने मुस्लिम समुदाय के धार्मिक स्वायत्तता का उल्लंघन बताया।

सरकार बनी ‘जज, ज्यूरी और जल्लाद’

याचिका में कहा गया है कि अब सरकार ही यह तय करेगी कि कौन सी संपत्ति वक्फ है और कौन सी सरकारी। इससे वक्फ संपत्तियों के बड़े पैमाने पर अधिग्रहण की आशंका जताई गई है।

धरोहर संपत्तियों पर वक्फ की वैधता खत्म

नए कानून के तहत यदि कोई संपत्ति धरोहर घोषित है तो वह वक्फ नहीं मानी जाएगी। याचिकाकर्ता ने इसे “once a waqf, always a waqf” सिद्धांत का उल्लंघन बताया।

याचिका में मांगी गई राहतें:

  1. वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को असंवैधानिक घोषित किया जाए।
  2. धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के अधिकारों के उल्लंघन पर कानून को रद्द किया जाए।
  3. अन्य उपयुक्त निर्देश या आदेश पारित किए जाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *