मुख्यमंत्री की संवेदनशील पहल, छत्तीसगढ और राज्य के बाहर 84 हजार श्रमिकों को मिली राहत

रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल और निर्देशन में श्रम विभाग द्वारा कोरोना वायरस के लॉकडाउन में राज्य एवं राज्य से बाहर फंसे लगभग 84 हजार श्रमिकों की समस्याओं का त्वरित निराकरण करते हुए उनके आवास, भोजन और चिकित्सा सहित वेतन एडवांस के लिए उचित प्रबंध किया गया है। संकट की इस घड़ी में श्रम विभाग द्वारा श्रमिकों को हर संभव सहायता पहुंचाई जा रही है।

इस संबंध में श्रम विभाग द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों में 7 अप्रैल तक कुल 367 आश्रय एवं शिविर संचालित किया जा रहा है। जिसमें छत्तीसगढ़ के 3724 श्रमिक एवं अन्य राज्यों के 5940 श्रमिकों इस प्रकार कुल 9664 के आवास एवं प्रतिदिन भोजन की व्यवस्था की जा रही है। इसमें अन्य राज्यों से झारखंड 1436, मध्यप्रदेश 1345, उत्तरप्रदेश 630, बिहार 388, राजस्थान 259, महाराष्ट्र 243, ओडि़सा 221, पश्चिम बंगाल 183, तेलंगाना 84 श्रमिक राज्यों से सर्वाधिक हैं। इसके अतिरिक्त कारखानों एवं विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र में प्रबंधन एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा छत्तीसगढ़ के कुल 5934 एवं अन्य राज्यों के 10994 श्रमिकों को इस प्रकार कुल 16928 श्रमिकों के लिए आवास एवं भोजन की व्यवस्था की गई है।
राज्य स्तर पर 24-7 हेल्पलाइन 0771-2443809, 9109849992, 7587822800 स्थापित किया गया है। इसी प्रकार समस्त 27 जिलों में भी हेल्पलाइन नंबर स्थापित किए गए है। अब तक श्रम विभाग को कुल 4944 सूचनाएं प्राप्त हुई है, जिसमें से 4360 सूचनाओं का तत्काल निराकरण कर 33138 श्रमिकों की विभिन्न समस्याओं का समाधान किया गया है। राज्य हेल्पलाइन, जिला हेल्पलाइन, सोशल मीडिया, प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया, जनप्रतिनिधि एवं अधिकारियों से सीधे सम्पर्क, अन्य स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर अब तक छत्तीसगढ़ के अन्य राज्यों में कुल 26 हजार 505 प्रवासी श्रमिकों को राशन एवं अन्य आवश्यकताआ संबंधी, समस्याओं का समाधान किया गया है। सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 5591, उत्तरप्रदेश 4578, जम्मू 3677, तेलंगाना 3092, गुजरात 2994, मध्यप्रदेश 1066, कर्नाटक 880, तमिलनाडू 677, आंध्रप्रदेश 652 एवं दिल्ली 596 राज्यों में होने की सूचना मिली है जिसमें कबीरधाम जिले के 3896, मुंगेली के 3762, बलौदाबाजार के 3612, राजनांदगांव के 3303 बेमेतरा के 2749, जांजगीर-चांपा के 2683, बिलासपुर के 1500, रायपुर के 1306, रायगढ़ के 997, सूरजपुर के 468, बलरामपुर के 373, गरियाबंद के 369, कोरबा के 366, दुर्ग के 309, बालोद के 245 जिलों से संबंधित है।
श्रम विभाग के 59 अधिकारियों की टीम द्वारा 260 कारखानों का निरीक्षण किया गया है। जिसमें श्रम विभाग के द्वारा नियोजकों के माध्यम से कुल 93.50 लाख रूपए की सहायता (नगद एवं राशन) उपलब्ध कराई गई। रायगढ़ में श्रमिकों को 15 दिन के वेतन के बराबर एडवांस 21 लाख 39 हजारर 550 रूपए दुर्ग में 60 हजार रूपए, बस्तर में 27 हजार, जांजगीर-चांपा में एक लाख 20 हजार 500 रूपए उनके नियोजकों से दिलवाया गया एवं कोरबा जिले में श्रमिकों को एक लाख 29 हजार 805 रूपए एडवांस सेलरी नियोजक द्वारा दिलवाई गई है। अतः वेतन एडवांस के रूप में श्रमिकों को 24 लाख 76 हजार 855 की सहायता दिलवाई गई है। ईएसआई के माध्यम से राज्य भर में 42 क्लीनिक कार्यरत हैं, जिसमें 11 हजार 315 श्रमिकों को इलाज एवं दवा वितरण कार्य सुचारू रूप से संचालित है।
कुछ जिलों के द्वारा श्रमिकों की अन्य राज्यों में संकटापन्न स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा श्रमिकों के खाते में नगद राशि का भुगदान किया गया है। जैसे-कवर्धा में 173 श्रमिकों, मुंगेली में 1483 एवं बेमेतरा में 3660 श्रमिकों के खाते में कुल 14 लाख 40 हजार 700 रूपए का भुगतान किया गया है।
नोडल अधिकारी एवं श्रम सचिव सोनमणी बोरा के नेतृत्व में राज्य के भीरत एवं राज्य के बाहर संकटापन्न श्रमिकों को श्रम विभाग और जिला प्रशासन के तथा  अन्य राज्यों के अधिकारियों द्वारा संबंधित नियोक्ताओं एवं संबंधित श्रमिकों से समन्वय स्थापित कर खान-पान एवं आवास एवं अन्य आवश्यकताओं, समस्याओं का निराकरण किया गया है।