पहलगाम हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भारत की वैश्विक कूटनीतिक मुहिम, सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश रवाना

पहलगाम आतंकवादी हमले और उसके बाद किए गए ऑपरेशन सिंदूर की प्रतिक्रिया में भारत सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को दुनिया के प्रमुख देशों में भेजने का फैसला लिया है। इन प्रतिनिधिमंडलों में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सांसद शामिल हैं। इनका मकसद भारत की ‘आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस’ नीति और इस मुद्दे पर बनी राष्ट्रीय एकजुटता को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत करना है।

22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद भारत ने आतंकवादी ढांचे पर जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में सैन्य कार्रवाई की।

प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में 6-7 सांसद होंगे, जिनके साथ पूर्व राजदूतों और क्षेत्रीय मामलों के विशेषज्ञ पूर्व नौकरशाहों को शामिल किया गया है।

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले प्रमुख सांसद:

  • शशि थरूर (कांग्रेस): सरकार का सबसे चौंकाने वाला चयन। उनकी नियुक्ति से बीजेपी और कांग्रेस के बीच बहस शुरू हो गई है।
  • रवि शंकर प्रसाद (भाजपा): पटना साहिब से सांसद और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद का दल सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया जाएगा।
  • संजय कुमार झा (जदयू): राज्यसभा सांसद संजय झा की टीम जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, मलेशिया और इंडोनेशिया की यात्रा करेगी।
  • बैजयंत ‘जय’ पांडा (भाजपा): भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जय पांडा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं।
  • कनिमोझी करुणानिधि (DMK): दक्षिण भारत से एकमात्र सांसद जो प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं।
  • सुप्रिया सुले (NCP – शरद पवार गुट): उनकी टीम ओमान, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और मिस्र की यात्रा करेगी।
  • श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना – शिंदे गुट): महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पुत्र श्रीकांत, सबसे युवा नेता हैं जो प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।

सरकार का मकसद:
इन सभी प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश देना है कि भारत अब किसी भी आतंकवादी हमले को “युद्ध की कार्यवाही” के रूप में देखेगा। सरकार चाहती है कि पाकिस्तान को आतंकवाद को समर्थन देने के लिए वैश्विक स्तर पर जवाबदेह ठहराया जाए।

विदेशों में उठाए जाएंगे ये मुद्दे:

  • पहलगाम आतंकी हमला और भारत की सैन्य प्रतिक्रिया
  • सीमा पार आतंकवाद और पाकिस्तान की भूमिका
  • जम्मू-कश्मीर पर भारत की आधिकारिक स्थिति
  • आतंकवाद को वित्तीय समर्थन और सुरक्षित पनाहगाहों को समाप्त करने की आवश्यकता

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