नई दिल्ली, 22 मई 2025 — ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार सामने आकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में वॉशिंगटन ने अहम भूमिका निभाई है। जयशंकर ने दो टूक कहा, “अमेरिका, अमेरिका में था।”
डच पब्लिक ब्रॉडकास्टर NOS को दिए एक दुर्लभ साक्षात्कार में जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम सैन्य स्तर की बातचीत का परिणाम था, न कि किसी तीसरे देश की मध्यस्थता का। उन्होंने बताया कि 10 मई को पाकिस्तानी सेना ने हॉटलाइन के माध्यम से भारतीय सेना से संपर्क कर गोलीबंदी रोकने की इच्छा जताई थी।

जयशंकर ने कहा, “हमने यह बात सभी को स्पष्ट कर दी थी—सिर्फ अमेरिका नहीं, हर किसी को, कि अगर पाकिस्तान को फायरिंग रोकनी है, तो हमें सीधे बताना होगा। उनका जनरल हमारे जनरल को फोन करे और बोले कि वह रोकना चाहता है, और ऐसा ही हुआ।”
उन्होंने पूरे घटनाक्रम की विस्तृत समयरेखा भी साझा की। जयशंकर ने बताया कि पाहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने उस हमले के लिए जिम्मेदार संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट की पहचान की, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है। इसके बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा चिन्हित 9 आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की।
पाकिस्तानी सेना द्वारा जवाबी हमला करने पर भारत ने 10 मई को पाकिस्तान के आठ एयरबेस पर जवाबी कार्रवाई की, जिससे उनका मुख्य सैन्य ढांचा अक्रियाशील हो गया। जयशंकर ने बताया कि यही दबाव पाकिस्तानी सेना को गोलीबंदी की अपील करने पर मजबूर कर गया।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि, “ऑपरेशन अभी भी जारी है क्योंकि इसका संदेश साफ है—अगर कोई आतंकी हमला होता है तो हम उसका जवाब देंगे, चाहे आतंकी पाकिस्तान में हो या कहीं और। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दोनों सेनाएं लगातार एक-दूसरे पर फायरिंग कर रही हैं। वर्तमान में फायरिंग बंद है, कुछ पुनर्संयोजन हुआ है।”
जयशंकर के इस बयान से भारत का यह रुख स्पष्ट हो गया है कि भारत आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस नीति के साथ आगे बढ़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय दखल के बिना खुद अपनी सीमाओं की सुरक्षा में सक्षम है।
