रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले को लेकर कार्रवाई का सिलसिला जारी है। शनिवार को एसीबी-ईओडब्ल्यू (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और राज्य आर्थिक अपराध शाखा) की टीम ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके करीबियों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह छापे राज्य के रायपुर, दंतेवाड़ा, अंबिकापुर, सुकमा, तोंगपाल और जगदलपुर सहित करीब 15 ठिकानों पर मारे गए।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि राज्य और केंद्रीय जांच एजेंसियों को लगातार इस मामले में शिकायतें मिल रही थीं, जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा, “कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा। जांच एजेंसियां निष्पक्ष रूप से अपना कार्य कर रही हैं।”

शराब घोटाले का पूरा मामला:
छत्तीसगढ़ में करीब 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पहले ही जांच कर रही है। ईडी ने इस मामले में 13 मार्च को रायपुर की विशेष अदालत में 3,841 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया है।
इस घोटाले में कवासी लखमा, अनवर ढेबर (रायपुर के पूर्व मेयर एजाज ढेबर के भाई), पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, त्रिलोक सिंह ढिल्लन सहित 21 आरोपियों के नाम सामने आए हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, वेलकम डिस्टलरी, ओम साईं ब्रेवेरेज, दिशिता वेंचर, भाटिया वाइन मर्चेंट जैसी कंपनियों के नाम भी आरोपपत्र में शामिल हैं।
कवासी लखमा की गिरफ्तारी और पूछताछ:
ईडी ने 15 जनवरी को पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था। उनसे पहले दो बार पूछताछ की गई थी। गिरफ्तारी के बाद उन्हें पहले 7 दिन की कस्टोडियल रिमांड और फिर 14 दिन की न्यायिक रिमांड में रखा गया था। पिछली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था, क्योंकि जेल में पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध नहीं था। इसके अलावा, उनके बेटे हरीश लखमा से भी ईडी ने पूछताछ की है।
यह कार्रवाई राज्य की राजनीति में हलचल मचा रही है और आने वाले दिनों में इस घोटाले में और नाम सामने आने की संभावना जताई जा रही है।
