दुर्ग (छत्तीसगढ़)। स्वर्गीय चंदूलाल चंद्राकर की 25 वीं पुण्यतिथि तथा 100 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में ग्राम कोलिहापुरी में उनका पुण्य स्मरण किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि चंदूलाल चंद्राकर ऋषि परंपरा के व्यक्ति थे। उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन में ही अब तक हम लोगों ने यह रास्ता तय किया है। वे 96 देशों में घूमे लेकिन अपना ठेठ छत्तीसगढ़ीपन नहीं छोड़ा। सुबह का दातुन नहीं छोड़ा। बटकर की सब्जी और जिमीकंद का आनंद लेना नहीं छोड़ा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. चंदूलाल की उपलब्धियां विस्तृत थीं लेकिन उनकी शालीनता ऐसी थी कि कभी इनकी चर्चा नहीं करते थे। बीएसपी की रेल मिल, गंगरेल बांध जैसी कई उपलब्धियों में उनका योगदान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सार्वजनिक उपलब्धियों से हम सब परिचित ही हैं उनसे जुड़ी हुई कई स्मृतियां हैं। वे आधुनिक कृषि की बात उस समय करते थे जब लोग इसके बारे में सुनने से भी चकित हो जाते थे। इस क्षेत्र में फल और सब्जी के उत्पादन में जो वृद्धि हुई है उसमें उनकी सोच का बड़ा योगदान है। अपने लोगों से वे हमेशा जुड़े रहे और छोटे बड़े सभी से पत्र व्यवहार करते रहे। आखरी दिनों में जब मैं उनसे मिलने पहुंचा तो वे बेरला के एक नाई को पत्र लिख रहे थे। जब नाम याद नहीं आया तो उन्होंने लिख दिया बेरला के प्रसिद्ध नाई को पत्र मिले। यह पत्र पहुंच भी गया क्योंकि चंद्राकर बेरला में अक्सर उसके पास बैठते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नया रायपुर में सभी चौक चौराहों में छत्तीसगढ़ के विभूतियों की प्रतिमा लगाई जाएगी। साथ ही पाठ्यक्रम में भी इनकी जीवनी सम्मिलित की जाएगी। इस मौके पर गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने भी अपनी स्मृतियां साझा की। उन्होंने कहा कि अंजोरा में आयोजित कृषि मेला अंचल में कृषि के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए संघर्ष करने के साथ ही प्रदेश की अनेक उपलब्धियों में उनकी कड़ी मेहनत थी। इस मौके पर विधायक श्री अरुण वोरा, पूर्व विधायक श्री प्रदीप चैबे, महापौर श्री धीरज बाकलीवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
सहज, शालीन और लोकतंत्र की शान थे चंदूलाल
इस मौके पर कार्यक्रम में शामिल वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक ने चंदूलाल चंद्राकर के साथ अपनी स्मृतियां साझा की। उन्होंने बताया कि जब चंद्राकर हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक थे तब वे नवभारत टाइम्स के संपादक थे और जयप्रकाश भारती नंदन के संपादक थे। बहादुरशाह मार्ग में रोज मुलाकात होती थी और इन मुलाकातों में मैने जाना कि कितने सहज शालीन और सबको साथ में रखकर चलने का व्यक्तित्व चंद्राकर का था। वे भारतीय लोकतंत्र की शान थे। उनका चरित्र उज्ज्वल था। वे साधुओं की तरह थे। मास्को जैसे शहरों में भी उन्होंने शराब नहीं पी, मांसाहार नहीं किया, ऐसे व्यक्ति दुर्लभ होते हैं। मुझे तो लगता है कि जैसे गांधी राष्ट्रपिता थे वैसे ही चंदूलाल जी छत्तीसगढ़ पिता। मुझे लगता है कि उनके सम्मान में बड़ी प्रतिमा नए रायपुर में स्थापित की जाए ताकि आने वाली पीढ़ी उन्हें अधिक जानने प्रेरित हो सके। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा कि जब वे चंदूलाल चंद्राकर की अंतिम यात्रा में भाग लेने छत्तीसगढ़ पहुंचे तो बघेल ही उन्हें लेने पहुंचे थे। उनकी शालीनता और विनम्रता उन्हें बड़ा बनाती है। मुझे विश्वास है कि उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ तेजी से विकसित राज्यों के रूप में उभरेगा।