ग्रामीण क्षेत्र के हर घर में होगा 2024 तक नल कनेक्शन, अगले 30 वर्षो के लिए शुद्ध जलापूर्ति को लेकर बनाई गई योजना

ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति की मुक्ममल व्यवस्था करने के लिए जल जीवन मिशन योजना पर क्रियांवयन तेजी से किया जा रहा हैं। इस योजना से गांवों के हर घर में 2024 तक नल कनेक्शन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए सर्वे कार्य जल्द आरम्भ किया जाएगा।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जिला स्तर पर कलेक्टर अंकित आनंद की अध्यक्षता में गठित जिला मिशन ने योजना के कार्यान्वयन के संबंध में आवश्यक निर्णय लिए गए है। मिशन ने तय किया कि योजना में सर्वे कर तथा डीपीआर तैयार कर इसका कार्यान्वयन जल्द ही किया जाएगा, जिससे समयसीमा से पहले शतप्रतिशत नल कनेक्शन के माध्यम से शुद्ध पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराई जा सके। मिशन के सदस्य सचिव कार्यपालन अभियंता श्री समीर शर्मा ने योजना के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।

वर्तमान में नलजल योजनाओं के माध्यम से 20.58 प्रतिशत लोगों को नल के माध्यम से मिल रहा है। इसके अतिरिक्त अन्य योजनाओं पर भी तेजी से काम हो रहा है। जहां पूर्व योजनाओं में अधिक प्रसार की जरूरत, वहां भी इनकी रिट्रोफिटिंग की जाएगी। कुछ नलजल योजनाएं ऐसी हैं जिनके आरंभ होने के बाद बसाहट फैली है और नये कनेक्शन आवश्यक हैं। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि वर्तमान में जिनके पास कनेक्शन हैं उन्हें जलजीवन मिशन के मानकों के मुताबिक पानी मिल रहा है या नहीं। इस प्रकार रिट्रोफिटिंग की जाएगी ताकि सभी को मिशन द्वारा दिये गये टारगेट के मुताबिक पानी मिल सके।
सबसे पहले चरण में पानी की अधिक दिक्कतों वालें क्षेत्र में योजना का क्रियान्वयन आरंभ किए जाने का निर्णय लिया गया है। यदि जलसंकट बहुत से गांवों के पैच में है तो मल्टी विलेज प्लानिंग की जाएगी। योजना में ऐसा प्रावधान किया जाएगा कि पानी की सतत आपूर्ति बनी रहे। शतप्रतिशत शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने वाली इस योजना में प्रति व्यक्ति प्रति दिन 55 लीटर पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य होगा। पूर्व में आरंभ की गई योजनाओं में यह लक्ष्य 45 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन था। इस प्रकार यदि इन योजनाओं में इस लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो पा रही हो तो रिट्रोफिटिंग की जाएगी।
इस योजना मे पानी की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। जल शुद्धिकरण के लिए उपचार संयंत्र की भी स्थापना की जाएगी। दीर्घकालीन स्थिरता प्रदान करने के लिए विश्वसनीय पेयजल स्रोतों का विकास और मौजूदा स्रोतों का संवर्धन किया जाएगा।