प्रदेश के संभागायुक्त, कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को आगामी वर्ष में तीन हजार गौठान और एक हजार नरवा के निर्माण का लक्ष्य पूर्ण करने का निर्देश प्रदेश के मुख्य सचिव आर.पी. मंडल ने दिया है। उन्हें एक माह के भीतर गौठान समिति और एनजीटी समिति का गठन करने का भी निर्देश दिया गया। साथ ही गौठन के पास ही चारागाह का निर्माण कर वहां 6-7 माह तक का पशुचारा संग्रहित करने का लक्ष्य भी दिया गया है।
रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्य सचिव आर.पी. मंडल ने आज गुरुवार को न्यू सर्किट हाऊस के सभाकक्ष में प्रदेश के संभागायुक्तों, कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशा से अवगत कराते हुए अधिकारियों को गौठानों का निर्माण इस प्रकार से करने कहा है कि यह ग्रामीणों की आजीविका का केन्द्र बने। गौठान संचालन के लिए स्थानीय नागरिकों की सहभागिता भी सुनिश्चित करने कहा गया है। उन्होंने कहा कि गौठान के पास चारागाह विकसित कर वहां 6 से 7 माह तक का पशुचारा संग्रहित किया जाए, जिससे कि बरसात के मौसम में पशुओं के लिए चारा की किल्लत न हो। गौठान के पास मुर्गी पालन जैसी गतिविधियां भी संचालित हो, जिससे स्थानीय लोगों के लिए गौठान की पहचान आय के केन्द्र के रूप हो सके।
मुख्य सचिव ने बैठक में कलेक्टरों को राष्ट्रीय राजमार्गो और राज्यमार्गो के किनारे भी गौठान निर्माण के लिए निर्देश दिए। प्रदेश में निर्मित हो रहे गौठानों के सही ढंग से संचालन के लिए गौठान समिति का गठन अति शीघ्र करने के लिए भी निर्देशित किया। बैठक में उन्होंने बाड़ी विकास योजना की समीक्षा करते हुए शासकीय आवासीय भवनों, स्वास्थ्य केन्द्रों, जेलों, आश्रमों-छात्रावासों के नजदीक लोगों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करने के लिए निर्देश दिए। उन्होंने प्रदेश में ऐसे स्थानों पर जहां नदी-नालों में बारह महीने पानी रहता है, वहां पम्प लगाकर सिंचाई के साधन विकसित करने के लिए निर्देश किया।
समीक्षा बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी ने बताया कि नरवा, गरवा, घुरूवा और बाड़ी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत गांव-गांव में हो रहे गौठान के निर्माण से कृषकों को दो फसली उत्पादन में काफी सहुलियत मिलेगी। उन्होंने बताया कि शासन के निर्णय के अनुसार गौठान समितियों से ही वर्मी कम्पोस्ट और गोबर खाद की खरीदी होगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा अभी हाल में ही सूरजपुर जिले से इसकी शुरूआत की गई है। बैठक में प्रदेश के 500 गांवों की संयुक्त वन प्रबंधन समितियों को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना से जोडऩे के संबंध में सहमति व्यक्त की गई।