नई दिल्ली । भारत और चीन में पूर्वी लद्दाख सीमा पर विगत 3 साल से गतिरोध बरकरार है। भारत के साथ चीन ने भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर रखी है। इस गतिरोध के बीच भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे का कहना है कि एलएसी पर वर्तमान में हालात स्थिर हैं और शांति कायम है, लेकिन पूरे मामले पर करीबी नजर रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फिलहाल चीन सीमा पर सैनिकों की संख्या कम नहीं की जाएगी। जनरल पांडे ने मीडिया से कहा कि भारतीय सेना ने एलएसी के नजदीक सैनिकों की तैनाती बढ़ाई है और किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर मैं कहना चाहता हूं कि एलएसी पर हालात स्थिर हैं, लेकिन हमें पूरे घटनाक्रम पर करीब से नजर रखने की जरूरत है।जनरल मनोज पांडे ने कहा कि जहां तक पड़ोसी देश द्वारा सैनिकों की तैनाती का सवाल है, तो उसमें भी कोई कमी नहीं आई है। पड़ोसी देश का (चीन) अपनी सेना के आधुनिकीकरण पर विशेष जोर है, खासतौर पर एलएसी के निकट तैनाती के संदर्भ में। भारतीय सेना भी आधुनिकरण के दौर से गुजर रही है और हम हर स्तर पर नई तकनीक को तेजी से अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए चीन के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं।थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि जब तक समाधान नहीं हो जाता, सैनिकों की तैनाती और सतर्कता उच्च स्तर पर बनी रहेगी। सेना प्रमुख ने आशा व्यक्त की कि चीन के साथ कूटनीतिक और सैन्य वार्ता से पूर्वी लद्दाख में रणनीतिक रूप से स्थित डेपसांग मैदानों और डेमचोक में शेष टकराव वाले बिंदुओं का समाधान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि बातचीत और एक-दूसरे से बात करके ही हम कोई समाधान निकाल सकते हैं। टकराव प्वाइंट पर हमारा उद्देश्य और प्रयास यही है कि जब तक ऐसा होता है, तब तक हमारे बलों की तैनाती, सतर्कता का स्तर उच्च स्तर पर बना रहेगा।पाकिस्तानी घुसपैठ पर जनरल पांडे ने कहा कि 778 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ रोकने को सेना मजबूती के साथ डटी हुई है, लेकिन पाकिस्तान के मौजूदा आतंकी बुनियादी ढांचे में कोई बड़ी कमी नहीं आई है। ड्रोन का प्रयोग आर्म्स और ड्रग्स गिराने के मामलों में वृद्धि देखी गई है, लेकिन सेना के ‘मजबूत’ काउंटर-घुसपैठ ग्रिड, अंतरराष्ट्रीय सीमा के प्रयासों के कारण एलओसी पर घुसपैठ कम हुई है।