आध्यात्म में चमत्कार नहीं आस्था और विश्वास होता है, चमत्कार की बजाए कर्म पर विश्वास करें : देवी चित्रलेखा

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। कथा वाचक देवी चित्रलेखा ने कहा है आध्यात्म में चमत्कार नहीं होता, आस्था और विश्वास होता है। भक्ति में विश्वास होता है। यदि विश्वास है तो आपको भविष्य जानने की इच्छा नहीं होगी। उन्होंने कहा चमत्कार की बजाए मानव को कर्म पर भरोसा करना चाहिए। यह बात उन्होंने हाल में जारी बागेश्वर धाम कथा वाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री पर जारी विवाद पर किए गए सवाल के जवाब में कही। बता दें कि देवी चित्रलेखा का आगमन दुर्ग में पुरानी गंज मंडी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा वाचन के संदर्भ में हुआ है। यह उनका प्रथम शहर आगमन है।

यहां पत्रकारों से चर्चा में रामचरित मानस को जलाए जाने की घटना को निंदनीय और दंडनीय बताते हुए उन्होंने कहा कि रामचरित मानस की एक एक चोपाई का अर्थ महत्वपूर्ण और मार्गदर्शक है। तुलसीदास की चौपाई शुद्र और नारी तारन के अधिकारी का अर्थ समझाते हुए उन्होंने बताया कि यहां तारन का अर्थ उन्हें अनुशासित और संरक्षित रखना है। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस, भगवत गीता को हमारे राष्ट्रीय ग्रंथ की मान्यता दी जानी चाहिए।

धर्म को व्यापार बनाए जाने पर उन्होंने कहा कि धर्म कभी व्यापार नहीं हो सकता। धर्म के जिन ठेकेदारों ने इसे व्यापार बनाया है, वह गलत रास्ते पर चल रहे हैं। साथ ही समाज को गलत रास्ता दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा असली और नकली संत की पहचान करना जरूरी है। यदि आपने गीता, रामचरित मानस, शास्त्र पढा है तो ही असली और नकली फर्क कर सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि संत सिर्फ संत है उसे भगवान का दर्जा नहीं दिया जा सकता। आज संतों को भगवान बनाया जा रहा है जो गलत है।

उन्होंने कहा भारत हिंदू राष्ट्र था, है और रहेगा। कभी कभी धुंध छा जाती है जिससे इसको लेकर सवाल उठने लगते हैं। समय का प्रभाव रहता है। समाज इसे और अच्छे से आगे बढ़ाएगा तो प्रामाणिक रुप से भी यह सिद्ध हो जाएगा। धर्मांतरण को अनुचित करार देते हुए उन्होंने कहा स्वार्थ के लिए धर्म से विमुख होना गलत है। धर्म हमारा जीवन है इसे बदला नहीं जा सकता। यदि धर्म बदल लिया तो समझों जीवन की सभी चीजों को बदल लिया। हिंदू होना गर्व की बात है।