बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। वन विभाग की लापरवाह कारगुजारी का एक मामला सामने आया है। बिलासपुर वन विभाग मजदूरों का लगभग एक साल से पारिश्रमिक दबाए बैठा है। विभिन्न स्तरों पर शिकायत किए जाने के बाद भी समस्या का निराकरण नहीं होने पर नाराज ग्रामीणों ने गांव पहुंचे रेंजर को बंधक बना लिया। लगभग पांच घंटे बाद रेंजर के लिखित आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने उन्हें मुक्त किया।
यह मामला वन विभाग के रतनपुर रेंज का है। गांव के करीब 800 मजदूरों ने वाटर ऑब्जर्वेशन प्लान के तहत काम किया था, जिसका उन्हें पारिश्रमिक भुगतान नहीं किया गया है। जानकारी के अनुसार वन विभाग ने साल 2021 में जंगल में वाटर आब्र्वेशन प्लान के तहत बारिश का पानी रोकने के लिए जंगल और आसपास गड्ढे कराए थे। इससे जंगली जानवरों के लिए पीने की पानी का इंतजाम होगा और जानवर भटक कर गांव तरफ नहीं जाएंगे। साथ ही बारिश का पानी तालाबनुमा छोटे-छोटे गड्ढों में ठहर जाएगा। इस काम के लिए छतौना गांव के 800 से अधिक मजदूरों ने काम किया था। काम कराने के बाद वन विभाग ने उन्हें एक साल से मजदूरी का भुगतान नहीं किया।
ग्रामीणों के अनुसार सभी मजदूर पारिश्रमिक भुगतान के लिए लगातार रेंज और एसडीओ ऑफिस का चक्कर काट रहे हैं। लेकिन, उनकी समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है। काम करने के बाद भी उनके खून पसीने की कमाई को विभाग के अफसरों ने रोक दिया है। इससे मजदूरों को पारिश्रमिक भुगतान में घोटाले की आशंका हो रही है। उनकी लगातार शिकायत करने के बाद भी विभाग के अफसर राशि भुगतान करने कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
रतनपुर वन परिक्षेत्र के रेंजर सुमित साहू सोमवार की शाम करीब 4 बजे छतौना पहुंचे। रेंजर के गांव आने की खबर मिलते ही ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। गांव के युवक, बुजुर्ग और महिलाओं ने उन्हें घेर लिया। इस दौरान ग्रामीणों ने अपना पारिश्रमिक भुगतान करने की मांग करते हुए जमकर हंगामा मचाया और रेंजर को वापस जाने से रोक दिया। उनका कहना था कि जब तक मजदूरी भुगतान नहीं होगा, हम यहां से नहीं जाएंगे और न ही रेंजर को जाने देंगे। इस दौरान रेंजर सुमित साहू उन्हें पारिश्रमिक भुगतान कराने के लिए ही गांव आने का भरोसा दिलाते रहे। लेकिन ग्रामीण रेंजर को मजदूरी भुगतान कराने के बाद ही जाने के लिए अड़े रहे।
वहीं, कुछ ग्रामीण उनके साथ वन विभाग के ऑफिस जाने की बात कहते रहे। जैसे-तैसे कर शाम से रात हो गई। फिर भी ग्रामीण रेंजर को घेर कर वहां बैठे रहे। इस दौरान ग्रामीणों ने चक्काजाम करने की चेतावनी दी और रेंजर से कहा कि आप लिखकर दो कि चक्काजाम के लिए वन विभाग जिम्मेदार है। ग्रामीणों के आक्रोश और हंगामा मचाने के बाद सरपंच, पंच सहित अन्य लोगों की मौजूदगी में रेंजर ने मजदूरी भुगतान कराने के लिए लिखित में आश्वासन दिया। रेंजर की समझाइश के बाद ग्रामीण शांत हुए और करीब 9 बजे रेंजर को वहां से जाने दिया गया।