महिला आयोग की सुनवाई : काउंटर केस में दूसरे पक्ष की नहीं हुई गिरफ्तारी, मोहन नगर टीआई को नोटिस जारी

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज जिला पंचायत के सभा कक्ष में दुर्ग जिले से प्राप्त प्रकरणों की सुनवाई की। आज की सुनवाई में 25 प्रकरण आयोग के समक्ष रखे गए थे जिसमे 15 प्रकरणों में पक्षकार उपस्थित रहे जिसमे से 12 प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया गया। डॉ. नायक ने पक्षकारों की मौजूदगी में प्रकरणों के तथ्य और दोनों पक्षकारों के बयानों व अभिमत को सुना, उन्होंने समझौता योग्य प्रकरणों में दोनों पक्षकारों की सहमति पर नस्तीबद्ध किया। दुर्ग में यह विशेष रूप से देखने में आई है कि महिला आयोग की पहली नोटिस मिलने से ही अनावेदक गणों ने शिकायतकर्ता महिलाओं से तत्काल से समझौता किया।

एक प्रकरण में आयोग ने दोनो पक्षों को विस्तार से सुना, जिसमें यह बात पता चली कि अनावेदकगण आवेदिका के घर पहुंचे थे जिसकी शिकायत आवेदिका पक्ष द्वारा थाने में दर्ज करायी गई थी। इसी विवाद के कारण अनावेदकगण की ओर से आवेदिका पक्ष के ऊपर भी एफ.आई.आर दर्ज कराई है, जिसमें आवेदिका पक्ष ने जमानत ले रखी है। लेकिन आवेदिका पक्ष की ओर से अनावेदक पक्ष के विरुद्ध थाना मोहन नगर में एफआईआर जनवरी 2021 में अनावेदकगण के विरुद्ध हो गई है पर अभी तक उन्हें गिरफ्तारी नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में थाना प्रभारी मोहन नगर द्वारा 10 माह बीतने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं किया जाना  और ऐसे गम्भीर अपराध के सम्बंध में आयोग की अध्यक्ष ने सुनवाई के दौरान आई.जी. से टेलीफोनिक बात किया गया और एफआईआर की कॉपी भी भेजा गया, जिसमे कार्यवाही किया जाना अपेक्षित है। तब तक थाना मोहन नगर थाना प्रभारी के लिए एक पत्र आयोग द्वारा प्रेषित किया गया है जिसमे इस एफआईआर के मामले पर 15 दिनों के अंदर अपना रिपोर्ट महिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने कहा गया। कार्यवाही नही किये जाने की स्थिति में डी.जी.पी. एवं आई.जी. के माध्यम से थाना प्रभारी के ऊपर कार्यवाही करने की प्रक्रिया आयोग द्वारा किया जाएगा।
मामला हाइकोर्ट में विचाराधीन, प्रकरण नस्तीबद्ध
कामधेनु विश्विद्यालय अंजोरा के प्रकरण में पिछले सुनवाई में आयोग द्वारा आवेदिका को कहा गया था कि कुल सचिव को पक्षकार बनाकर, प्रकरण स्पष्ट रूप से अपनी शिकायत आयोग के समक्ष रखे जिस पर आवेदिका ने एक विवरण को टाईप कर आज सुनवाई में प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार आवेदिका ने पूर्व संरक्षण सेवा के लाभ के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष पिछले वर्ष इस अनावेदक को भी पक्षकार बनाया गया था। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। आयोग के क्षेत्राधिकारी से बाहर हो जाने से इस प्रकार इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
दूसरी शादी पर पत्नी नहीं चाहती कानूनी कार्रवाई, आयोग ने दी व्यवस्था
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने दूसरी शादी कर लिया है, पिछले 2 वर्ष से आवेदिका व उनकी बच्ची को छोड़ रखा है और आवेदिका अनावेदक के खिलाफ को आपराधिक प्रकरण नहीं चलाना चाहती है। अनावेदक ने यह स्वीकार किया है कि उसने दूसरी विवाह किया गया है। आवेदिका से न्यायालय से तालाक नहीं लिया गया है। जो कि धारा 494 के तहत कानूनी अपराध है और इसमें सजा व जुर्माने का प्रावधान है। बच्चे की पढाई और घर खर्च के लिए अनावेदक द्वारा आयोग के समक्ष बताया कि 10,000 रूपये प्रतिमाह देते है। अनावेदक ने अपने नया घर बनाया है जिसमें जनवरी 2022 में आवेदिका व उनकी बच्ची साथ रहेगी और उक्त मकान को अपने बच्ची के नाम पर करेंगे। इस स्तर पर प्रकरण को आयोग द्वारा निगरानी में रखा गया जिसमे आवेदिका को उक्त मकान में कब्जा मिल जाता है या नहीं मिलता है तो आवेदिका महिला आयोग में आकर सूचित करें ताकि अग्रिम कार्यवाही किया जा सकें। प्रकरण निगरानी में रखा गया।
पति-पत्नी ने अपनाई समझौते की राह
आयोग की समझाईश पर पति-पत्नी अपने समस्त प्रकरणों में समझौते की ओर बढ़ना चाहते है। अनावेदक पक्ष आवेदिका का समस्त सामान व स्त्रीधन के साथ एक मुश्त अंतिम भरण पोषण देगा और आवेदिका व अनावेदक आपसी समझौते से न्यायालय से तलाक ले सकेंगे। पति-पत्नी आपसी समझौते नामा लेकर आयोग के समक्ष उपस्थित होने कहा गया है।
महिला आयोग के समक्ष उपस्थित पति-पत्नी और दोनो के पिता को आयोग ने विस्तार से सुना जिसमे लगभग 3-4 साल से आवेदिका अपने मायके में रह रही है। आवेदिका की 3.5 साल की बच्ची भी हैं। आयोग की समझाईश पर उभय पक्ष ने राजीनामा कर साथ में रहना मंजूर किया है। पुरानी बातों के लिए एक-दूसरे से माफी मांगी और बच्ची की भविष्य के लिए पति-पत्नि के साथ रहने के निर्णय में लगातार एक साथ रहने के लिए निगरानी भी आयोग द्वारा रखी गई इस प्रकरण की निगरानी रामकली यादव सदस्य पुलिस जवाबदेही प्राधिकरण करेंगी। दोनो पक्ष किसी भी तरह के समस्या होने पर उन्हें फोन करके बतायेगे। आगामी दिनांक को आवेदिका के पिता अनावेदकगण पति के साथ मान सम्मान के साथ आवेदिका पत्नी को विदा करेंगे। इस प्रकरण को निगरानी रखने के साथ नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदिका ने बताया है कि अपने पति के उपर निर्भर है लेकिन पति आना जाना नहीं करते है। इस बिन्दु पर आवेदिका ने कहा कि दोनो पक्ष के बीच आयोग समझाईश करा दें तो सभी प्रकार के माामले को समाप्त कर सकते हैं और आवेदिका को अपने जीवनयापन के लिए राशि भी मिल सके। आवेदिका आयोग कार्यालय में अपने प्रकरण को पैरवी कराने के लिए तैयार है। आवेदिका ने यह भी व्यक्त कि अनावेदिका द्वारा दखलंदाजी न करें। प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।