2 माह की बच्ची की मौत के लिए अस्पताल प्रबंधन जिम्मेदार, एनएसयूआई ने की जुर्म दर्ज करने की मांग

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जिला अस्पताल में उपचार के लिए लाई गई बच्ची को कोराना पाजिटिव्ह बताकर रेफर किए जाने के मामले ने तूल पकड़ने लगा है। बच्ची की समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण मौत हो गई थी। वहीं बच्ची को कोरोना रिपोर्ट भी निगेटिव आई थी।वहीं बच्ची की उम्र रिपोर्ट में 20 वर्ष दर्शायी गई थी। इस स्थिति के लिए एनएसयूआई ने दुर्ग जिला अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। इस संबंध में जिला एनएसयूआई के कार्यकारणी अध्यक्ष सोनू साहू ने गैरजिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ गैरइरादतन हत्या की धारा 304 के तहत अपराध पंजीबद्ध कार्रवाई किए जाने की मांग ज्ञापन सौंपकर की है।

ज्ञापन में बताया गया है कि जिला अस्पताल दुर्ग मे पदस्थ सिविल सर्जन डॉक्टर बालकिशोर के द्वारा दो माह की बच्ची के मौत के मामले में गैर जिम्मेदाराना बयान दिया है। विभिन्न प्रेस मीडिया कर्मियो को सिविल सर्जन डॉक्टर बालकिशोर द्वारा दी प्रतिक्रिया का वायरल वीडियो दर्शाता है कि वो अपने पद और कार्य के प्रति जिम्मेदार नही है, क्योंकि  25 अप्रैल की रात लगभग 11 बजे बच्ची रुही उम्र 2 माह को बुखार आने की शिकायत थी बताया जा रहा है कि इस बच्ची को लेकर परिजन जिला अस्पताल उपचार हेतु आये परंतु बुखार होने के वजह से कोरोना की जांच की गई जिसमें बच्ची रुही की रिपोर्ट को तथा कथित तौर पर पॉजिटिव बता कर जो कि गलत रिपोर्ट थी उसी के आधार पर उपचार किया गया आरोप लगाया गया कि बच्चो का वेंटिलेटर न होने की बात कहते हुए एवं बच्ची को 3 घंटे बाद कथित तौर पर  रायपुर पंडरी स्थित जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां परिजन बच्ची को लेकर आपातकालीन स्थिति में दर – दर ठोकर खाते रहे जिसके बाद डॉक्टर राव से मुलाकात हुई। जिन्होंने वेंटिलेटर न देने की बात कहते हुए कोविड मरीज को इलाज न कर पाने की बात कही । तत्पश्चात मेकाहारा अस्पताल में परिजनों ने बच्ची रूही को लाया पर वहाँ पर भी बच्ची को प्राथमिक उपचार न देने की वजह से बच्ची ने एम्बुलेंस में ही अपना दम तोड़ दिया। ऐसा गंभीर आरोप मृत बच्ची के परिजन लगा रहे है ।
जिला कार्यकारणी अध्यक्ष सोनू साहू ने कहा कि व्यथित करने वाली बात यह है कि अंतिम संस्कार के पश्चात परिजनों के मोबाइल पर कोरोना नेगेटिव की रिपोर्ट प्राप्त हुई। उसमे 2 माह की बच्ची को 20 वर्ष का बताया गया। जिससे दुर्ग जिला अस्पताल, रायपुर पंडरी जिला अस्पताल एवं मेकाहारा अस्पताल में उस वक्त ड्यूटी पर तैनात स्टाफ की लापरवाही और असंवेदनहीनता को उजागर होने का आरोप जन सामान्य की तरफ से लग रहा है। इसके बावजूद अस्पताल में पदस्थ सिविल सर्जन डॉक्टर बाल किशोर प्रेस और मीडिया के माध्यम से गैर जिम्मेदाराना प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया है कि जनता में दुर्ग जिला अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर भयंकर आक्रोश है। राज्य सरकार तमाम सुविधा दे रही है उसके बाद फिर रोगी मरीज के परिजनो द्वारा जिला अस्पताल के अव्यवस्थता को लेकर लगातार शिकायते प्राप्त हो रही हैं। इस स्थिति के कारण जिला प्रशासन और सरकार को ख्याति को धूमिल करने हो रही है।
संगठन ने बच्ची रुही के परिजनों के प्रति संवेदना प्रगट करते हुए दोषी डॉक्टर एवम स्टाफ के ऊपर निलंबन की कार्यवाही करने और गैर इरादतन हत्या की धारा 304 के तहत कार्रवाई किए जाने की मांग की है। वहीं सिविल सर्जन डॉ बालकिशोर की बर्खास्तगी की मांग भी की गई है।