दुर्ग (छत्तीसगढ़)। स्वच्छता सर्वे के नाम पर अवकाश में भी काम कराने का ओवर टाइम नहीं मिलने पर निगम के सफाई कर्मियों का आज गुस्सा फूटा। नाराज 800 सफाई कर्मियों ने शुक्रवार को अचानक काम बंद कर कर निगम कार्यालय का घेराव किया। करीब डेढ़ घंटे मान-मनौव्वल और सभी 12 मांगें पूरा करने के आश्वासन के बाद कर्मचारी वापस लौंटे। कर्मियों के आंदोलन के कारण शुक्रवार को शहर के किसी भी हिस्से में सफाई नहीं हुई।
नगर निगम में प्लेसमेंट और एमसीसी के करीब 800 कर्मियों से सफाई का काम कराया जाता है। ये कर्मचारी सामान्य दिनों की तरह ड्यूटी में हाजिर हुए और बकायदा मोबाइल एप के माध्यम से उपस्थिति भी दर्ज कराई। इसके बाद सफाई करने के बजाए कर्मचारी रविशंकर स्टेडियम के पास इकट्ठा हुए और मोर्चा लेकर निगम कार्यालय पहुंचे। यहां कर्मचारियों ने निगम प्रशासन पर सफाई कर्मचारियों पर अन्याय का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की। कर्मचारियों की हड़ताल में तत्काल महापौर धीरज बाकलीवाल और कमिश्नर इंद्रजीत कार्यालय पहुंचे। महापौर और निगम कमिश्नर पहले कर्मचारियों को काम पर लौटने की समझाइश दी। कर्मचारी नहीं मानें तो उनके प्रतिनिधियों को तलब कर मांगों पर चर्चा की गई। इसमें सभी मांगों को मानें जाने की सहमति बनी। इसके बाद कर्मचारी बिना काम किए ही घरों को लौट गए।
पुलिस के प्रति जताई नाराजगी
रविशंकर स्टेडियम के पास एकत्रित होने के बाद कर्मचारी रैली निकाल कर निगम कार्यालय पहुंचे। इससे पहले निगम कार्यालय पहुंच चुकी पुलिस ने कर्मचारियों को गेट पर ही रोक दिया। इससे कर्मचारी नाराज हो गए। नाराज कर्मचारियों ने निगम प्रशासन के साथ पुलिस के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की। महापौर के निर्देश पर बाद में कर्मचारियों को अंदर जाने दिया गया।
बार बार हाजरी देने में परेशानी
कर्मचारियों ने बताया कि कमिश्नर ने काम के दौरान मोबाइल पर कार्यस्थल से 7 बार फोटो भेजने का नियम बना रखा है। सफाई कर्मियों का कहना है कि सफाई के काम में बार-बार मोबाइल से फोटो खींचने में परेशानी होती है। इसके अलावा अधिकतर कर्मचारी कम पढ़े लिखे व मोबाइल ठीक से ऑपरेट करना नहीं जानते। उन्हें मामूल गड़बड़ी में भी वेतन कटौती का सामना करना पड़ता है।
बिना नोटिस कर रहे काम से बाहर
कर्मचारियों का आरोप है कि नगर निगम के अधिकारी कर्मचारियों को बिना नोटिस के ही या तो वेतन की कटौती कर दी जाती है या बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। कर्मचारियों की मांग थी कि ऐसे कर्मचारियों का पक्ष भी सूना जाना चाहिए। इस पर महापौर ने पक्ष सुनने और कम से कम तीन नोटिस से पहले किसी भी कर्मचारी को काम से अलग नहीं करने की व्यवस्था दी।
इन मागों को लेकर भी नाराजगी
कर्मियों ने इस दौरान वार्ड 1 से 10 और 51 से 60 तक रिक्शा चालकों की प्लेसमेंट में बहाली, भविष्य निधि फंड की राशि जमा कराने, चिकित्सा फंड की निगम कार्यालय से जानकारी देने, दीवाली के अवसर पर प्रोत्साहन राशि देने की मांग भी रखी। कर्मचारियों ने बताया कि यह मांग लगातार की जा रही है, लेकिन निगम प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा।
मिलेगी 15 फीसदी प्रोत्साहन राशि
कर्मचारियों से चर्चा के दौरान महापौर ने सभी कर्मचारियों को वेतन का 15 फीसदी प्रोत्साहन राशि के रूप में देने की भी घोषणा की। इसके बाद कर्मचारी हड़ताल खत्म करने पर सहमत हुए। कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल से महापौर के साथ कमिश्नर और निगम सभापति राजेश यादव ने भी चर्चा की।