दुर्ग (छत्तीसगढ़)। अपने गांव लौट आए प्रवासी श्रमिकों का क्वारंटीन पीरिएड पूरी तरह उनके लिए उपयोगी हो, इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में क्वारंटीन केंद्रों में अनेक नवाचारी प्रयोग किए जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण ने यह सिखाया है कि प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी रखनी है और यह प्राचीन भारतीय यौगिक पद्धति के पालन से संभव है इसलिए इन केंद्रों में सुबह से योगा और प्राणायाम कराया जा रहा है। विनायकपुर में रोजगार सचिव कामिनी ने बताया कि यहां सुबह से ही प्राणायाम और योग कराया जाता है। यहां हाईस्कूल में क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है और पूरा शेड्यूल बना दिया गया है। यहां भोपाल से लौटे कीर्ति नारायण ने बताया कि सुबह से क्वारंटीन सेंटर में योग कराया जाता है। इसके बाद ही नाश्ता होता है। उन्होंने बताया कि चौदह दिनों में यह पूरी तरह से सिस्टम में आ जाएगा और हम लोग इसे हमेशा के लिए अपना लेंगे। योग करने के बाद काफी स्फूर्ति मन में आती है। गोपाल ने बताया कि सभी को योग करना बहुत अच्छा लगता है। यहां आने के बाद कई ऐसे आसन सीखे जिसके बारे में पता नहीं था। योग करने से हमें बड़ा लाभ यह होगा कि बीमार कम पड़ेंगे और इलाज का खर्च भी कम हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि क्वारंटीन केंद्रों में व्यवस्थाओं की मानटिरिंग के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इनकी नियमित रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाती है। ग्राम पंचायत झींट में क्वारंटीन पीरिएड में रह रहे तामेश्वर ने बताया कि मेरा क्वारंटीन पीरिएड पूरा हो गया है। मुझे किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। उल्लेखनीय है कि क्वारंटीन सेंटर में रह रहे लोगों की स्किल मैपिंग भी कराई जा रही है ताकि हुनरमंद लोगों की पूरी पहचान हो सके। इनका डाटाबेस कई तरह से उपयोगी होगा। इसे उद्योगजगत के लोगों के साथ भी साझा किया जा रहा है। उदाहरण के लिए झीट के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे 9 लोग प्लंबर हैं। अब इस प्रकार के डाटाबेस होने की वजह से हुनरमंद और नियोक्ता दोनों के बीच दूरी कम हो पाएगी। इस बीच क्वारंटीन सेंटर में रह रहे लोगों ने पौधरोपण का कार्य आरंभ किया। विभिन्न क्वारंटीन केंदों में पौधे रोपे जा रहे हैं। लगभग ग्यारह सौ पौधे रोपे जा रहे हैं। ये पौधे लाकडाउन पीरिएड की याद दिलाएंगे और हमेशा के लिए लाकडाउन के दौरान की स्मृति याद दिलाएंगे। कहीं साक्षरता की अलख भी जल रही है। राजपुर की हीराबाई क्वारंटाइन सेंटर में पहुंचने से पहले अक्षरों की दुनिया से नावाकिफ थी, चौदह दिनों में हीराबाई अक्षरों की चमकती दुनिया से वाकिफ हुई। पूरे धमधा ब्लाक के क्वारंटीन केंद्रों में यह कार्रवाई की गई।