किसानों ने की स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। राष्ट्रीय किसान समन्वय संघर्ष समिति के देश के 200 से अधिक किसान संगठनों के लाखों किसानों ने किसानों के कर्ज मुक्ति, स्वामीनाथन आयोग की अनुसंशा को लागू करने का वायदा पूरा करके सी – 2 + 50% सूत्र से फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन किया।

किसानों ने अपने गांव, खेत खलिहान, मनरेगा कार्य स्थल आदि में जोरदार प्रदर्शन किया। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के आह्वान पर प्रदेश के सैकड़ों गांवों में हजारों किसानों ने भी प्रदर्शन में भाग लिया।
प्रदर्शनकारी किसान ने कहा कि वे कर्ज से मुक्ति चाहते हैं। खेती के लिए सिर्फ़ कर्ज मुहैय्या करा देना ही न्याय नही है। आखिर नुकसान में फसल बेचकर कर्ज का कैसे निपटारा होगा। केंद्र की सरकार किसानों को कर्ज से और अधिक लादने का काम कर रही है, इस साल असामयिक अतिवृष्टि, आंधी तूफान, ओलावृष्टि से फसलों को भारी क्षति हुई है कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिये लागू किये गये 60 दिनों के लाकडाऊन नें किसानों की कमर तोड़ दी है किसानों को नगद राहत राशि की जरूरत है किंतु केंद्र सरकार किसानों को नगद मदद करने के बजाय कर्ज में राशि देने की बात कह रही है, वहीं पर राज्य सरकार ने भी गेंहू एवं सब्जी फसल को‌ 6-4के दायरे में न लेकर कोई सहायता नही दिया गया। दुग्ध एवं पोल्ट्री के किसान तबाह हो गया न राज्य सरकार ने और न ही केंद्र सरकार ने सुध लिया।
भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के समय सरकार बनाने पर स्वामीनाथन आयोग की अनुसंशा को लागू करने का वायदा किया था मोदी सरकार को 6 साल पूरे हो गये हैं किंतु आजतक सी-2+50% फार्मूला से फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार नें घोषित नहीं किया है जिसके कारण पिछले 6 साल में लाखों करोड़ की आर्थिक क्षति हो गई है,
छत्तीसगढ़ की सरकार नें राजीवगांधी किसान न्याय योजना लागू किया है। जिसमें धान, मक्का, गन्ना, दलहन और तिलहन उत्पादक किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रूपये आदान राशि प्रदान की गई है। किंतु चारा, फल, सब्जी उत्पादन सहित अन्य फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को योजना में शामिल नही किया गया है। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन ने केंद्र सरकार से कर्ज नहीं बल्कि फसलों का पूरा दाम देने और राज्य सरकार से न्याय योजना में सभी किसानों को शामिल करने की मांग की है। प्रति एकड़ 10000₹के हिसाब से हर तरह के किसान को योजना में शामिल करें तभी‌ राज्य सरकार के न्याय योजना में न्याय होगा।

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