फर्जी डॉक्टर का खौफनाक खुलासा: एक बार फिर मौत का इलाज, 7 मरीजों की जान गई, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की मौत से भी जुड़ा नाम

मध्य प्रदेश के दमोह ज़िले में एक बार फिर फर्जी डॉक्टर का खौफनाक चेहरा सामने आया है। मिशन अस्पताल में बीते कुछ महीनों के दौरान हुए कम से कम सात मरीजों की मौत का संबंध इसी फर्जी डॉक्टर से जोड़ा जा रहा है। जांच के बाद आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है।

चौंकाने वाली बात यह है कि यही शख्स 2006 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल की मौत के मामले में भी आरोपों के घेरे में था।

डॉक्टर बना ‘मौत का सौदागर’

आरोपी खुद को डॉ. एन जॉन कैम (Dr. N John Camm) बताकर पेश कर रहा था। दावा किया गया कि वह लंदन से लौटा हुआ विशेषज्ञ हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट) है। लेकिन हकीकत में वह देहरादून का निवासी नरेंद्र विक्रमादित्य यादव निकला, जिसकी शैक्षणिक डिग्रियां संदिग्ध हैं और किसी भी तरह की मेडिकल रजिस्ट्रेशन नहीं है।

इसके बावजूद वह दमोह के मिशन अस्पताल में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी जैसे जटिल ऑपरेशन कर रहा था।

सात मरीजों की गई जान

स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, नरेंद्र यादव ने अस्पताल में 15 ऑपरेशन किए, जिनमें 7 मरीजों की मौत हो गई। मृतकों में रहीसा बेगम, मंगल सिंह, बुधा अहीरवाल, इसराइल खान और दसौंदा रैकवार शामिल हैं।

रहीसा बेगम को 12 जनवरी को सीने में दर्द की शिकायत पर भर्ती किया गया था। ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद ही उनकी मौत हो गई। उनका बेटा नबी कुरैशी बताता है, “जैसे ही मेरी मां की मौत हुई, डॉक्टर मौके से फरार हो गया।”

मंगल सिंह को गैस की शिकायत पर अस्पताल लाया गया था। बिना उचित जांच के ऑपरेशन कर दिया गया और उसी दिन उनकी भी मौत हो गई।

परिजनों का आरोप है कि न तो दवाइयों की जानकारी दी गई और न ही पोस्टमॉर्टम कराया गया।

नकली डिग्रियों और फर्जी पहचान का खेल

दमोह के सीएसपी अभिषेक तिवारी ने बताया कि आरोपी नरेंद्र यादव ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की थी। “उसके पास जो मेडिकल डिग्रियां थीं, वे न तो पंजीकृत थीं, न ही वैध। उसने बिना योग्यता के गंभीर सर्जरी कीं। फर्जीवाड़े के आरोप में केस दर्ज कर लिया गया है।”

मिशन अस्पताल की प्रभारी प्रबंधक पुष्पा खरे ने बताया कि डॉक्टर की नियुक्ति IWUS नाम की एजेंसी के जरिए की गई थी, जो सरकार के साथ पंजीकृत है। एजेंसी को ही डॉक्यूमेंट्स की जांच की ज़िम्मेदारी थी।

डॉ. नरेंद्र अस्पताल से एक पोर्टेबल इको मशीन (कीमत लगभग 5-7 लाख रुपए) भी चुरा ले गया, जिसकी शिकायत दर्ज कराई गई है।

2006 का मामला फिर सतह पर

यह कोई पहली घटना नहीं है। साल 2006 में छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल की मौत के मामले में भी नरेंद्र यादव का नाम सामने आया था। उस वक्त भी उसे ‘लंदन रिटर्न डॉक्टर’ बताकर पेश किया गया था।

शुक्ल परिवार के सदस्य न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अनिल शुक्ला ने कहा, “हमें पहले ही पता चल गया था कि यह डॉक्टर फर्जी है। यदि समय पर कार्रवाई होती, तो आज कई निर्दोष जानें बच सकती थीं।”

सरकारी जांच के आदेश, कार्रवाई के संकेत

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के सीएमएचओ डॉ. प्रमोद तिवारी ने कहा, “मैंने जांच टीम गठित की है और सभी दस्तावेज़ मंगवाए हैं। यदि वह बिना रजिस्ट्रेशन प्रैक्टिस कर रहा था, तो यह गंभीर अपराध है।”

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

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