जिला उपभोक्ता फोरम ने सहारा इंडिया के खिलाफ दाखिल एक और मामले में महज पांच माह में फैसला पारित किया है। फोरम ने मैच्योरिटी डेट के बाद वादा अनुसार रकम का भुगतान नहीं किए जाने पर यह फैसला दिया है। सहारा इंडिया कंपनी के साथ स्थानीय शाखा प्रबंधक को भी एक माह का अवधि में मैच्युरिटी अमाउंट का भुगतान करने का आदेश दिया है। साथ ही इस भुगतान में विलंब की अवधि पर 7.5 प्रतिशत ब्याज तथा मानसिक क्षति के रुप में 20 हजार रु. का हर्जाना अदा करने का निर्देश दिया है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला पुरैना (भिलाई-3) निवासी उमाशंकर पाल से संबंधित है। उमाशंकर पाल द्वारा वर्ष 2012 व 2013 में सहारा इंडिया की क्यू शाप एच प्लान की चार पालिसा ली गई थी। चारों पालिसियों के लिए 2 लाख 150 रु. का एकमुश्त भुगतान विभिन्न तिथियों में किया गया था। पॉलिसी के अनुसार सहारा इंडिया द्वारा 6 वर्ष की अवधि के पश्चात जमा रकम ब्याज के साथ दोगुना भुगतान किया जाना था। पॉलिसियों की परिपवक्ता अवधि बीत जाने पर भुगतान के लिए आवश्यक दस्तावेज जमा किए जाने के बाद भी सहारा इंडिया द्वारा भुगतान नहीं किए जाने पर प्रकरण को जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। जिस पर विचारण पश्चात फोरम ने कंपनी के इस कृत्य को सेवा में कमी तथा व्यवसायिक दुराचरण की श्रेणी में माना। फोरम सहारा इंडिया को एक माह की अवधि में मैच्योरिटी अमाउंट 4 लाख 300 का भुगतान 7.5 प्रतिशत के साथ करने का आदेश दिया है। साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति के रुप में 20 हजार रु. व वाद व्यय की राशि 1000 रु. का भुगतान करने का निर्देश दिया है।