मां की पिटाई से नाराज किशोरी ने छोड़ा घर, हुई दैहिक शोषण का शिकार, आरोपी को मिली 15 साल की कैद

मां की पिटाई से नाराज होकर घर छोडने वाली किशोरी दैहिक शोषण का शिकार हो गई। किशोरी को पुलिस ने लगभग एक माह बाद मुंबई से आरोपी युवक के साथ बरामद किया था। इस मामले में किशोरी का दैहिक शोषण करने के आरोपी को न्यायालय द्वारा 15 वर्ष के कारावास से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया गया है। मामले पर विचारण फास्ट टे्रक कोर्ट की न्यायाधीश मधु तिवारी की अदालत में किया गया था। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से अति. लोक अभियोजक पुष्पारानी पाढ़ी ने पैरवी की थी।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला भिलाई के खुर्सीपार थाना क्षेत्र का है। 27 जून 2015 की शाम पीडि़त 17 वर्षीय किशोरी का अपनी मां से किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। जिसके चलते उसकी मां ने उसे थप्पड मार दिया था। इससे नाराज होकर किशोरी घर से निकल गई थी। घूमते घूमते वह पावर हाउस रेलवे स्टेशन पहुंची, जहां उसे भवानीपट्टनम (कालाहांडी-उडीसा) निवासी राजेश रंजन मिला। राजेश उसे बहला फुसला कर अपने साथ उडीसा के विशाखापट्टनम ले गया, जहां उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। जिसके बाद युवक के साथ किशोरी मुंबई चली गई। मुंबई में भी युवक लगातार उससे शारीरिक संबंध बनाता रहा। वहीं किशोरी के घर वापस नहीं आने पर परिजनों द्वारा पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रपट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने लापता किशोरी की पतासाजी प्रारंभ की थी। लगभग एक माह बाद 22 जुलाई 2015 को पुलिस ने किशोरी को युवक के साथ मुंबई से बरामद किया था। इस मामले में आरोपी के खिलाफ दफा 363, 366, 376 तथा पॉक्सो एक्ट के तहत जुर्म दर्ज कर प्रकरण को विचारण के लिए पुलिस ने न्यायालय के समक्ष पेश किया था।
प्रकरण विचारण पश्चात न्यायाधीश मधु तिवारी ने आरोपी को नाबालिग का अपहरण कर उसका दैहिक शोषण करने का दोषी पाया। मामले में न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि समाज का यह नैतिक कर्तव्य है कि महिला के हितों का संरक्षण करें और रिश्ते की मर्यादा का पालन करे। अभियुक्त द्वारा किया गया कृत्य केवल राज्य के प्रति समाज के प्रति अपराध है। अत: अपराध की प्रकृति को देखते हुए अभियुक्त को परिवीक्षा अधिनियम के उदार प्रावधानों का लाभ दिया जाना उचित नहीं है। न्यायाधीश ने अभियुक्त राजेश रंजन को दफा 366 के तहत 5 वर्ष कारावास, 1000 रु. अर्थदंड तथा दफा 376(2)(ढ) के तहत 10 वर्ष कारावास व 1000 रु. अर्थदंड से दंडित करने का फैसला सुनाया है। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी।

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