शीर्ष अदालत ने मुंबई के आरे में पेड़ काटे जाने के मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला दिया है। सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई नगर निकायों से कितने पेड़ काटे गए की जानकारी मांगी। साथ ही उसके बदले में कितने नए पौधे लगाए गए हैं औक कितने पेड़ बचें है की जानकारी भी मांगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह पूरे इलाके को देखना चाहते हैं और मौके की तस्वीरें दिखाने की भी मांग की है। इस मामले में अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी।
नई दिल्ली। शीर्ष अदालत ने कानून के छात्र रिशव रंजन द्वारा आरे के संबंध में लिखे पत्र को संज्ञान लिया और आरे मामले को एक जनहित याचिका के रूप में माना था। सोमवार को शीर्ष अदालत ने मेट्रो और मुंबई कॉरपोरेशन से पूछा है कि क्या इस इलाके में कोई व्यावसायिक प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित है, जिस पर जवाब दिया गया कि आरे कॉलोनी में कटाई सिर्फ मेट्रो कार शेड के लिए हुई है। यहां कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं होगी। मेट्रो वकील मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत को बताया कि कुल 2600 पेड़ काटे गए थे और आगे कोई पेड़ नहीं काटे गए हैं। उन्होंने कहा कि 400 से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं और इतने ही ट्रांसप्लांट किए जाने हैं। मुकुल रोहतगी ने मुंबई के लिए मेट्रो की जरूरत पर जोर देते हुए दिल्ली मेट्रो का उदाहरण दियाष उन्होंने कहा कि जैसे दिल्ली में 67 लाख लोग मेट्रो में सफर के कारणसात लाख वाहन सड़क से हट गए हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा है कि फिलहाल मेट्रो कार शेड का प्रोजेक्ट जारी रह सकता है और इसके निर्माण पर रोक रोक नहीं है। इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने 4 अक्टूबर को आरे कॉलोनी को जंगल घोषित करने से इनकार कर दिया था और पेड़ काटने पर रोक लगाने से मना कर दिया था।