रायपुर (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस जीपी सिंह को कोर्ट ने एक बार फिर चार दिनों की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। अब जीपी सिंह की जमानत के संबंध में 18 जनवरी को सुनवाई होगी। निलंबित आईपीएस जीपी सिंह को आज दो दिन की रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद पुलिस ने कोर्ट में पेश किया था। जहां स्पेशल मजिस्ट्रेट लीना अग्रवाल की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के पश्चात ईओडब्लू और एसीबी की मांग पर अदालत ने जीपी सिंह को फिर से चार दिन की पुलिस रिमांड पर दिए जाने का आदेश दिया है।
बता दें रायपुर पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली से सटे गुरुग्राम से जीपी सिंह की गिरफ्तारी की थी। जीपी सिंह को उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह अपने वकील के चैंबर से बाहर निकल रहे थे। गिरफ्तारी के बाद उन्हें सड़क मार्ग से रायपुर लाया गया। आरोप है कि रायपुर लाने के बाद जब उनसे ईओडब्लू और एसीबी ने पूछताछ की तो उन्होंने पूछताछ में सहयोग नहीं किया।
पहले भी जीपी सिंह पर जांच में सहयोग नहीं करने के आरोप लगे हैं। उन्हें कई बार नोटिस भी दिया गया था। लेकिन वह हाजिर नहीं हुए। उसके बाद मामला कोर्ट में गया। वहां से भी जीपी सिंह को राहत नहीं मिली। उसके बाद ईओडब्लू और एसीबी ने उन्हें गिरफ्तार किया।
आपको बता दें कि आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह के मामले में फंसे निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह एक समय में एसीबी/ईओडब्लू के चीफ रहे हैं। उस दौरान उन पर आरोप है कि वे कुछ लोगों से अवैध वसूली करते थे। लोगों को धमकियां देते थे। जीपी सिंह पर मौजूदा सरकार के खिलाफ साजिश रचने का भी आरोप है।
ईओडब्ल्यू और एसीबी ने जीपी सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले पर 1 जुलाई की सुबह 6 बजे छापा मारा था। इस दौरान राजनांदगांव, ओडिशा समेत 15 अन्य ठिकानों पर एक साथ एसीबी की टीम ने छापेमार कार्रवाई की थी। करीब 68 घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान 10 करोड़ से अधिक की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले के पीछे गटर से कई अहम दस्तावेज मिले थे। इन्हीं को राजद्रोह का साक्ष्य माना गया था। छापे से मिली संपत्ति के आधार पर उन पर एसीबी ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई. इसके आधार पर शासन ने 5 जुलाई को उन्हें सस्पेंड किया। उसके बाद 8 जुलाई की रात जीपी सिंह के घर से मिले दस्तावेज के आधार पर उनके खिलाफ कोतवाली थाने में राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया।

