दुर्ग (छत्तीसगढ़)। एडीबी प्रोजेक्ट के तहत छत्तीसगढ़ राज्य क्षेत्र सड़क परियोजना लोक निर्माण विभाग द्वारा ठेलका डीह से दुर्ग निर्माणाधीन मार्ग में जिले का बोरई , नगपुरा ,मालूद ,बेलौदी गांव का सड़क चौड़ीकरण एवं उन्नयन कार्य किया जा रहा है। इससे वहां के रहवासी मकान, दुकान एवं खलिहान प्रभावित हुए है। इनमें से अधिकांश आबादी पट्टे की जमीन पर है या निजी जमीन पर है। प्रचलित आबादी पर मुख्यमंत्री आबादी पट्टा भी मिला हुआ है। सड़क निर्माण से प्रभावितों को सहायता के रूप में सिर्फ प्रभावित संरचना का पुनर्विस्थापन की राशि ही दिया जा रहा है। जिसको लेकर ग्रामीणों में असंतोष है।
प्रभावित ग्रामीणों के प्रतिनिधि मंडल ने गृह, लोकनिर्माण मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक ताम्रध्वज साहू से मुलाकात कर बताया कि जिले के ही पाटन ब्लाक में सेलूद, जामगांव, रानीतरई मार्ग में जो कि छत्तीसगढ़ सड़क विकास निगम लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाया गया है। आबादी पट्टेधारियों को भूमि स्वामी मानते हुए भू-अर्जन की प्रक्रिया का पालन किया गया है एवं प्रभावितों को भूमि एवं संरचना का पर्याप्त मुआवजा दिया गया है। जो कि उचित है, वहीं पर दुर्ग ब्लाक के गांवों के साथ भेदभाव किया गया। सिर्फ प्रभावित संरचना का एक्सग्रेसिया ही दिया जा रहा है। यहां पर सड़क निर्माण जो कि एक ही विभाग के अंतर्गत आता है मुख्यमंत्री आबादी पट्टा धारकों की भूमि को शासन का मान लिया गया। यहां तक कि लगानी भूमि को शासकीय भूमि बताकर उनके हक से वंचित कर दिया गया है।
मंत्री साहू ने विषय की गंभीरता को समझते हुए प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त किया कि किसी के साथ भी भेदभाव नही होने दिया जाएगा, भू-अर्जन का नियम सभी जगहों के लिए एक होगा। प्रभावित ग्रामीणों के प्रतिनिधि मंडल में परमानंद यादव, डॉ. टीकम साहू, उत्तम चंद्राकर, कांतिलाल देशमुख, लोचन सिन्हा, दिग्विजय वैष्णव, दीपक यादव, पुकेश्वर साहू, कैलाश देवांगन, बद्री पारकर जैतराम एवं छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के संयोजक राजकुमार गुप्ता , महासचिव झबेंद्र भूषण वैष्णव शामिल थे।