झीरम घाटी कांड के पीड़ितों को नहीं मिला अब तक न्याय, एनआईए से हटकर अलग होनी चाहिए जांच : कांग्रेस

रायपुर (छत्तीसगढ़)। प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि झीरम घाटी कांड के पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जब सीबीआई जांच की मांग की थी तब  तत्कालीन रमन सरकार ने केन्द्र को सिफारिश तो कर दी लेकिन केन्द्र ने इसे इंकार कर दिया था। इस मामले में एनआईए की जांच प्रक्रिया भी समझ से परे हैं इसलिए जरूरी है कि इससे हटकर भी जांच होनी चाहिए। कांग्रेस नेताओं ने भाजपा नेताओं का नक्सलियों से सांठगांठ होने का आरोप लगाया है।

सरकार के मंत्री रविन्द्र चौबे, मोहम्मद अकबर और डॉ. शिवकुमार डहरिया के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने राजीव भवन में आयोजित एक संयुक्त पत्रवार्ता में सवाल उठाया है कि झीरम घाटी कांड की एनआईए जांच किसके इशारे पर रोक दी गई है। पिछले पांच साल में पांच लोगों से पूछताछ नहीं की गई है। उन्होंने पूछा है कि सीबीआई ने झीरम की जांच करने से मना कर दिया था, यह बात तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दो साल तक क्यों छिपाए रखी। हाल के नक्सल नेटवर्क के खुलासे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नक्सलियों के भाजपा नेताओं से सांठगांठ हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि एनआईए से हटकर भी जांच की जरूरत है। ताकि सच्चाई सामने आ सके और पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके।
पत्रवार्ता में रविन्द्र चौबे ने कहा कि कांग्रेस ने पहली पीढ़ी की नेताओं को खोया है। पीडित परिवार को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है। उस समय सरकार की विकास यात्रा के समानान्तर कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा चल रही थी। मगर सुरक्षा के बंदोबस्त क्यों नहीं थे। इस घटना को सुपारी किलिंग जैसे मामले के रूप में देखा जाता है, लेकिन अभी तक जवाब नहीं मिल पाया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र में जिनकी सरकार है, एनआईए उनके इशारे पर काम करती है। कांग्रेस के दबाव में रमन सरकार ने केन्द्र को प्रकरण की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। केन्द्र सरकार ने इंकार कर दिया, लेकिन इस बात को दो साल तक दबाए रखी। उन्होंने कहा कि हाल ही में शहरी नक्सल नेटवर्क खुलासा हुआ है, जिसमें भाजपा के पदाधिकारी भी पकड़े गए हैं। कृषि मंत्री ने आरोप लगाया कि नक्सलियों से भाजपा नेताओं के सांठगांठ हैं। इसके पूरे साक्ष्य मौजूद हैं।
कृषि मंत्री ने आगे कहा कि झीरम घटना में रमन्ना जैसे कई नक्सल नेताओं के नाम सामने आए थे। मगर एनआईए ने चार्जशीट से उनका नाम हटा दिया। ऐसा क्यों किया गया, इसका कोई जवाब नहीं है। सरकार के मंत्रियों ने कहा कि सीबीआई द्वारा जांच से मना करने पर नई सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। एनआई को पत्र लिखकर दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था। मगर एनआईए ने दस्तावेज देने से मना कर दिया। कोर्ट में चार्जशीट पेश कर एनआईए कह चुकी है कि  जांच पूरी हो चुकी है, तो कभी कहती है कि जांच चल रही है।
परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि पिछले पांच साल में एनआईए की इस प्रकरण को लेकर जांच की क्या प्रगति है, यह बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि पांच साल में पांच लोगों से पूछताछ नहीं की गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि सरकार एसआईटी के जरिए जांच को गति देना चाहती है, लेकिन केन्द्र की सरकार ऐसा नहीं होने देना चाह रही है। नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने आरोप लगाया कि झीरम कांड में तत्कालीन रमन सिंह सरकार संलग्न रही है, इस वजह से केन्द्र की सरकार एसआईटी जांच नहीं होने देना चाह रही है।