रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय इस्पॉत मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को पत्र लिखकर जनवरी माह में लौह अयस्क में की गई मूल्यवृद्धियो को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग कीहै। उन्होंने राज्य के लौह खनिज आधारित लघु उद्योगों एवं स्पंज आयरन उद्योगों को दीर्घकालिक रियायती दर पर लौह अयस्क उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा में लौह अयस्क की खदानें एनएमडीसी द्वारा संचालित है। इन खदानों में से चार खदानों का 20 वर्ष के लिए अवधि का विस्तार राज्य शासन द्वारा इस शर्त के आधार पर किया गया था कि यहां से राज्य के लौह एवं आयरन इस्पॉत उद्योग को उनकी आवश्यकता के अनुरूप लौह अयस्क की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। एनएमडीसी द्वारा खनिज आयरन ओर लम्प (डीआरसीएलओ) के मूल्य में अप्रत्याशित वृद्धि किए जाने के कारण प्रदेश के स्पंज आयरन एवं स्टील उद्योगों के संचालन में दिक्कत आ रही है जिसकी वजह से इस्पॉत का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है।
मुख्यमंत्री बघेल ने इस्पॉत मंत्री को इस संबंध में पूर्व में प्रेषित अपने पत्र का भी उल्लेख करते हुए कहा है कि एनएमडीसी द्वारा लौह अयस्क की मूल्य वृद्धि को तत्काल वापस लिए जाने के साथ ही राज्य के लौह उद्योगों को दीर्घकालिक रियायती दर पर लौह अयस्क की आपूर्ति हेतु विशेष पहल किए जाने का आग्रह किया था। इस संबंध में आपके द्वारा की गई कार्रवाई अपेक्षित है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में खनिज आयरन ओर आधारित संयंत्र संचालित है जिन्हें एनएमडीसी की दंतेवाड़ा स्थित खदानों से लौह अयस्क निर्धारित दरों पर क्रय किया जाता है। प्रदेश के स्पंज आयरन एसोशिएसन, कॉफेडेरेशन ऑफ इंडियन इण्डस्ट्री (सीआईआई) एवं राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड द्वारा राज्य के लौह आधारित उद्योगों को सुगमता से संचालन हेतु आधारभूत आवश्यकताओं को उपलब्ध कराए जाने का आग्रह राज्य शासन से लगातार किया जाता रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि स्पंज आयरन एसोशिएसन के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि एनएमडीसी द्वारा खनिज आयरन ओर लम्प (डीआरसीएलओ) के मूल्य में 470 रूपए प्रतिटन की वृद्धि की गई है। इस प्रकार खनिज आयरन ओर लम्प के बेसिक मूल्य में कुल 700 रूपए की वृद्धि की गई है। इस पर रॉयल्टी और अन्य कर को मिलाकर आयरन ओर की कीमत बढ़कर 875 रूपए प्रतिटन हो गई है। फलस्वरूप आयरन ओर के मूल्य में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण उत्पादित इस्पॉत का मूल्य बढ़कर 2000 रूपए प्रतिटन हो गया है। जिसके कारण प्रदेश के स्पंज आयरन एवं स्टील उद्योगों के संचालन में दिक्कत आने के साथ ही इस्पॉत का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि दंतेवाड़ा स्थित एनएमडीसी की चार लौह अयस्क की खदानों का 20 वर्ष हेतु अवधि का विस्तार इस शर्त के साथ राज्य शासन द्वारा किया गया है कि राज्य के लौह अयस्क आधारित उद्योगों को आवश्यकतानुसार लौह की आपूर्ति निरंतर करनी होगी। इस शर्त का पालन तभी संभव है जब एनएमडीसी द्वारा दीर्घकालिक उचित रियायत दर का निर्धारण किया जाए।
मुख्यमंत्री ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण के चलते लॉकडाउन से प्रभावित छत्तीसगढ़ के उद्योगों का हवाला देते हुए कहा है कि लौह अयस्क आधारित उद्योगों को रियायती दर पर लौह अयस्क की आपूर्ति नहीं होने के कारण इनके बंद होने की नौबत आ गई है, जिसके कारण बेरोजगारी एवं पलायन की स्थिति भी बनी है। उन्होंने केन्द्रीय इस्पॉत मंत्री से उक्त परिस्थतियों को ध्यान में रखते हुए राज्य के लौह अयस्क आधारित उद्योगों एवं स्पंज आधारित उद्योगों को दीर्घकालिक रियायती दर का निर्धारण कर उनकी आवश्यकता के अनुरूप लौह अयस्क की आपूर्ति सुनिश्चिित करने हेतु विशेष पहल के साथ कार्रवाई किए जाने का आग्रह किया है।