चार लाख से अधिक संभाग के मजदूर मनरेगा में संलग्न, जल संरक्षण व भूमि सुधार के हो रहे कार्य

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। संभाग के सभी जिलों में मनरेगा के कार्य बड़े पैमाने पर किए जा रहे हैं। अभी दुर्ग संभाग के 2150 पंचायतों में मनरेगा के काम शुरू किए जा चुके हैं। शुरू किए गए कार्यों की संख्या 9367 है। इनमें 411711 मजदूर कार्यरत हैं। सबसे ज्यादा मजदूर राजनांदगांव जिले में लगे हुए हैं। यहां एक लाख 55 हजार 965 मजदूर कार्य कर रहे हैं। कबीरधाम में लगभग 80127 मजदूर काम कर रहे हैं। बेमेतरा में 68421 मजदूर काम कर रहे हैं।  बालोद में 60028 मजदूर काम कर रहे हैं। दुर्ग जिले में 45173 मजदूर काम कर रहे हैं।

विकास उपायुक्त आर के खूंटे ने बताया कि सभी जिलों में बड़े पैमाने पर मनरेगा के कार्य शुरू किए गए हैं। मनरेगा के कार्यों के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। हाथ धोने के पश्चात तथा मास्क लगाने के पश्चात मजदूर अपना काम शुरू कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मनरेगा के माध्यम से जल संरक्षण और भूमि सुधार जैसे कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना के प्रभावी क्रियान्वयन की भी लगातार समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में मनरेगा में प्रभावी कार्य किया जा रहा है।
संभागायुक्त जीआर चुरेंद्र इन कार्यों की लगातार मॉनिटरिंग  कर रहे हैं। उन्होंने कलेक्टरों को इस बात के लिए निर्देशित किया है कि वह बड़े पैमाने पर उपयोगी कार्य मनरेगा के माध्यम से चिन्हांकित करें यहां काम आरंभ कराएं और अधिकाधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराएं। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखें। मजदूर मास्क पहने हुए हो, साथ ही उन्हें साबुन से हाथ धुलाकर काम आरंभ कराया जाए, यह सब हिदायत दी गई है इसके साथ ही कोरोना संक्रमण के संबंध में भी उपयोगी जानकारी सभी को उपलब्ध कराने निर्देशित किया गया है। मनरेगा के माध्यम से नाला गहरीकरण जैसे कार्य भी कराए जा रहे हैं इससे भूमिगत जल के रिचार्ज की संभावना बढ़ेगी, ग्राउंड वाटर रिचार्ज होने से सिंचाई के लिए भी अधिक पानी उपलब्ध होगा। साथ ही गर्मी में होने वाली पेयजल जैसी दिक्कतें भी दूर होंगी। खूंटे ने बताया कि जल संरक्षण के कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके अलावा पशुधन से संबंधित कार्य जैसे मुर्गी शेड वगैरह भी बनाए जा रहे हैं। सभी सीईओ को निर्देशित किया गया है गांव की जरूरतों के मुताबिक उपयोगी संरचनाएं चिन्हांकित करें और इन्हें स्वीकृत कर काम आरंभ कराएं।