कोंडागांव, छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के वनमंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने “हरे सोने” — यानी तेंदूपत्ता — को वनवासी जीवन के उत्थान का माध्यम बना दिया है। सरकार द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण दर बढ़ाकर 5500 रुपये प्रति मानक बोरा किए जाने से 12.5 लाख संग्राहक परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।
वनमंत्री शुक्रवार को कोंडागांव जिले के गोलावंड स्थित तेंदूपत्ता फड़ का निरीक्षण करने पहुंचे थे। वहां उन्होंने संग्रहण कार्य में लगे वनवासियों से संवाद करते हुए सरकार की नीतियों और नई योजनाओं की जानकारी दी।

उन्होंने कहा,
“विष्णुदेव सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण नीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिससे संग्राहकों को बेहतर पारिश्रमिक, सुविधाएं और बोनस सुनिश्चित हो रहा है। चरण पादुका योजना को फिर से शुरू कर संग्राहकों के लिए सम्मान और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित किए जा रहे हैं।”
वनमंत्री ने आगे कहा कि तेंदूपत्ता आदिवासी समाज के भावनात्मक और आर्थिक जीवन से जुड़ा है। उनकी सरकार ने वादा निभाते हुए संग्रहण दर बढ़ाकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिससे प्रदेश के जंगलों में रहने वाले परिवारों की अतिरिक्त 240 करोड़ रुपये की आय का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री जनमन योजना और धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से वनवासी जीवन के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने बस्तर अंचल की जैव विविधता और कृषि उत्पादों की विशेषता का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां 65 प्रकार की लघु वनोपजों का संग्रहण होता है, जिनका स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण और वैल्यू एडिशन कर आदिवासियों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा रहा है।
विशेष रूप से उन्होंने कोदो, कुटकी और रागी जैसे मिलेट्स का उल्लेख किया, जिनकी वैश्विक मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने उनके प्रसंस्करण और विपणन की व्यवस्था तेज कर दी है।
कार्यक्रम में वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, कर्मचारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
