नई दिल्ली: भारत ने बीती रात पाकिस्तान के बहावलपुर में आतंकी ठिकानों पर जबरदस्त एयर स्ट्राइक कर बड़ा संदेश दिया है। इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अज़हर के परिवार के 10 सदस्यों की मौत हो गई है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मारे गए लोगों में अज़हर की बड़ी बहन, बहनोई, एक भतीजा, उसकी पत्नी, एक भांजी और उसके विस्तारित परिवार के पांच बच्चे शामिल हैं। इसके अलावा उसके चार करीबी सहयोगियों की भी मौत हुई है।
हमले का एक बड़ा निशाना बहावलपुर की जामिया मस्जिद सुब्हान अल्लाह थी, जो जैश के प्रमुख अड्डों में से एक मानी जाती थी। भारत ने नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार कम से कम नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इनमें से तीन पाकिस्तान के भीतर और पाँच पाक-अधिकृत कश्मीर (POK) में थे।

इस हमले के बाद मसूद अज़हर ने एक बयान जारी किया, जिसमें उसने कहा कि उसे अपने परिवार की मौत का कोई पछतावा नहीं है। उसने यह भी कहा कि काश वह खुद भी इस हमले में मारा गया होता। उसका यह बयान न केवल उसके कट्टरपंथी विचारों को दर्शाता है, बल्कि भारत की कार्रवाई की गंभीरता को भी रेखांकित करता है।
56 वर्षीय मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित किया गया है। जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक अज़हर पर 2001 में संसद हमले, 2008 के मुंबई हमले, 2016 के पठानकोट एयरबेस हमले और 2019 के पुलवामा आत्मघाती हमले सहित कई बड़े आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के आरोप हैं।
अज़हर एक समय भारत की हिरासत में था, लेकिन 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 के अपहरण के बाद उसे छोड़ना पड़ा था। यह विमान काठमांडू से दिल्ली आते वक्त अपहरण कर अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था।
हालांकि पाकिस्तान बार-बार अज़हर की मौजूदगी से इनकार करता रहा है, पर यह सबके लिए एक ‘ओपन सीक्रेट’ है कि वह बहावलपुर में ही है। 2022 में उज़्बेकिस्तान में हुए एक सम्मेलन में जब पाक पीएम शहबाज़ शरीफ से अज़हर के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने चुप्पी साध ली।
उसी वर्ष भारत और अमेरिका द्वारा अज़हर के भाई अब्दुल रऊफ असगर पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश को चीन ने वीटो कर दिया था। अज़हर ने नवंबर में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक इस्लामिक सेमिनरी में भाषण देते हुए भारत पर हमलों को तेज़ करने की धमकी दी थी।
भारत ने इस हमले के बाद पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है कि आतंकवाद को पनाह देने की कीमत चुकानी होगी।
