नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और संभावित हमले की आशंका के बीच देशभर में आज एक अभूतपूर्व नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल की गई। गृह मंत्रालय के निर्देश पर 300 से अधिक स्थानों पर यह ब्लैकआउट मॉक ड्रिल जोर-शोर से आयोजित की गई, जिसमें युद्ध और आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयारियों का परीक्षण किया गया।
दिल्ली, मुंबई, भोपाल, पटना, बेंगलुरु समेत देश के प्रमुख शहरों में सुबह से ही सायरन बजने लगे और ब्लैकआउट प्लान को अमल में लाया गया। नागरिकों को हमले की चेतावनी, छिपने की रणनीति, सुरक्षित स्थानों की पहचान और रेस्क्यू के तरीकों की ट्रेनिंग दी गई। स्कोप मीनार, दिल्ली से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री आवास तक सुरक्षा को चाक-चौबंद कर दिया गया था।

बिहार की राजधानी पटना में मुख्यमंत्री आवास (1 अणे मार्ग) पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था देखी गई, जहां खोजी कुत्तों की टीमों ने वाहनों की गहन जांच की। राजधानी के संवेदनशील इलाकों में ब्लैकआउट अभ्यास किया गया और स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को गंभीरता से संभाला।
गृह मंत्रालय ने मॉक ड्रिल के लिए तीन कैटेगरी तय की हैं—
- कैटेगरी-1: सबसे संवेदनशील क्षेत्र
- कैटेगरी-2: सामान्य संवेदनशील क्षेत्र
- कैटेगरी-3: कम संवेदनशील क्षेत्र
यह मॉक ड्रिल 1971 के बाद की सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारी मानी जा रही है, जब भारत-पाक युद्ध के दौरान नागरिकों को हवाई हमलों से बचाने के लिए सायरन बजाकर सतर्क किया गया था।
मॉक ड्रिल में क्या-क्या शामिल रहा?
- अचानक सायरन और ब्लैकआउट
- लोगों को सुरक्षा पंक्तियों की जानकारी
- छिपने और भागने की रिहर्सल
- सर्च ऑपरेशन और बचाव अभ्यास
- सामूहिक रेस्क्यू टीम का संचालन
इस मॉक ड्रिल का मकसद केवल सुरक्षा बलों की तैयारी ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों की सजगता और सहयोग को भी परखना था। आने वाले दिनों में इन ड्रिल्स को और अधिक व्यवस्थित और व्यापक रूप में दोहराया जाएगा।
