रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा मेडिकल उपकरण और रिएजेंट्स की खरीद में की गई वित्तीय अनियमितताओं और प्रणालीगत भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो गया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की संयुक्त जांच में अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें शशांक चोपड़ा, बसंत कुमार कौशिक, क्षीरोद्र राउतिया, डॉ. अनिल परसाई, कमलाकांत पाटनवार और दीपक बांधे शामिल हैं। सभी फिलहाल न्यायिक रिमांड में हैं।
जांच में क्या सामने आया:
EOW ने 25 अप्रैल 2025 को रायपुर की अदालत में जो चार्जशीट दाखिल की, उसमें यह खुलासा हुआ कि स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय (DHS) और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड (CGMSCL) द्वारा गंभीर प्रक्रियात्मक लापरवाही की गई, जिससे राज्य को लगभग ₹500 करोड़ का नुकसान हुआ।

चार्जशीट के अनुसार, टेंडर समिति की बैठकों में ना तो सामूहिक विचार-विमर्श हुआ, ना दस्तावेजों पर सभी सदस्यों के हस्ताक्षर मौजूद थे। आरोप है कि अधिकारियों ने सिर्फ “टेबलटॉप एक्सरसाइज” कर कागज़ी प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया और महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाईं।
बिना बजट स्वीकृति के ₹314.81 करोड़ के आदेश:
CGMSCL ने 2 जून 2023 को ₹314.81 करोड़ की खरीद आदेश बिना बजट या प्रशासनिक स्वीकृति के जारी कर दिए, सिर्फ एक अनुमानित बजट स्वीकृति के आधार पर, जो वित्तीय नियमों का खुला उल्लंघन था।
गंभीर लापरवाही से लाखों के रिएजेंट बर्बाद:
चार्जशीट में DHS पर सवाल उठाया गया है कि उन्होंने 2-8°C तापमान पर स्टोरेज के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे रेफ्रिजरेटर) की कमी जानने के बावजूद रिएजेंट्स भेज दिए, जिससे मेडिकल सामग्री समय से पहले खराब हो गई।
EDTA ट्यूब्स 4 गुना अधिक कीमत पर खरीदी गईं:
बाजार में ₹1.50–₹8.50 प्रति यूनिट की दर पर मिलने वाली EDTA ट्यूब्स को CGMSCL ने ₹23.52 और ₹30.24 प्रति यूनिट पर खरीदा, जिससे लगभग ₹2 करोड़ का नुकसान हुआ। इस खरीद में जानबूझकर देरी और प्रक्रियात्मक हेराफेरी कर Mokshit Medicare Pvt. Ltd. को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
विरोध की भी अनदेखी:
जांच में पाया गया कि डॉ. अरविंद नेरल द्वारा कीमतों को लेकर जताई गई आपत्ति को भी आरोपी अधिकारियों ने नजरअंदाज कर दिया।
चार्जशीट में कहा गया, “आरोपी क्षीरोद्र राउतिया ने तकनीकी समिति को गुमराह कर मोक्शित कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किया।”
उपकरण बिना इंस्टॉलेशन के पड़े रहे:
आरोप है कि खरीदे गए उपकरणों को इंस्टॉल नहीं किया गया, आवश्यक स्टोरेज की व्यवस्था नहीं की गई, और करोड़ों की दवाएं/रिएजेंट्स खराब हो गए। इससे यह स्पष्ट होता है कि सप्लायर और अधिकारियों के बीच मजबूत सांठगांठ थी।
FIR और आगे की कार्रवाई:
इस मामले में 22 जनवरी 2025 को FIR दर्ज की गई थी, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों और चार निजी कंपनियों को आरोपी बनाया गया है। मामले की जांच अब और तेज कर दी गई है।
