रायपुर। छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में IFS अधिकारी अशोक पटेल की गिरफ्तारी के बाद वन विभाग में व्यापक स्तर पर फैले भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो रहा है। राज्य सरकार की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के हर पांचवें IFS अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, जिनमें आय से अधिक संपत्ति, रिश्वतखोरी और शासकीय योजनाओं में गड़बड़ी शामिल हैं।
राज्य में 118 IFS अधिकारियों में से 24 के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच जारी है, जबकि 31 अधिकारियों पर गंभीर शिकायतें लंबित हैं। ये शिकायतें विभाग के कार्यप्रणाली पर गहरा प्रभाव डाल रही हैं। जांच एजेंसियां और पुलिस कई मामलों में आरोपियों की संपत्ति और लेनदेन की बारीकी से पड़ताल कर रही हैं।

प्रमुख आरोपी अधिकारी और उनके खिलाफ शिकायतें:
- विवेकानंद झा (2022) – आय से अधिक संपत्ति, विभागीय अनियमितताएं
- आरके जांगड़े (2019) – आय से अधिक संपत्ति, शासन को आर्थिक नुकसान
- आलोक तिवारी – योजनाओं में करोड़ों का भ्रष्टाचार
- गुरुनाथ एन, जितेंद्र उपाध्याय, शशि कुमार, पंकज राजपूत सहित अन्य अधिकारियों पर भी करोड़ों की संपत्ति और फर्जी लेनदेन के आरोप हैं।
बेनामी संपत्ति और छुपाई गई जानकारी:
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि कई अधिकारियों ने अपनी संपत्ति की जानकारी विभाग को नहीं दी है।
- आरके जांगड़े – 3.60 करोड़ की संपत्ति, चार प्लॉट, एक घर, एक फ्लैट
- आलोक तिवारी – 3.45 करोड़, तीन जमीन, एक घर
- विवेक झा – 2.21 करोड़, रायपुर व लखनऊ में संपत्तियां
- अन्य जैसे कुमार निशांत, लक्ष्मण सिंह आदि ने आंशिक या कोई जानकारी नहीं दी है।
वन मंत्री ने मानी भ्रष्टाचार की बात:
राज्य के वन मंत्री केदार कश्यप ने माना कि वन विभाग के कई IFS अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। उन्होंने कहा, “तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में कार्रवाई की गई है, बाकी दोषियों पर भी जल्द कार्रवाई होगी।”
विभाग का रुख सख्त:
वन विभाग के प्रमुख पीसीसीएफ श्रीनिवास राव ने कहा, “हमारे पास जो भी शिकायतें आती हैं, उनकी निष्पक्ष जांच कराई जा रही है। विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया जाएगा।”
यह खुलासा छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की सख्त जरूरत को उजागर करता है। जनता अब कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रही है।
