ट्रंप के टैरिफ वार पर चीन का पलटवार: “अगर अमेरिका अड़ा रहा, तो हम अंत तक लड़ेंगे”

बीजिंग/वाशिंगटन, अप्रैल 2025: दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड वॉर अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी वस्तुओं पर 100% से ज्यादा टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद चीन ने इसे “ब्लैकमेलिंग” करार देते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने तीखा बयान जारी करते हुए कहा, “अगर अमेरिका अपनी ज़िद पर अड़ा रहा, तो चीन अंत तक लड़ेगा।” यह बयान उस समय आया है जब ट्रंप ने बीते सप्ताह चीनी आयात पर एकतरफा ड्यूटी लगाई थी और अब बुधवार से उसे और बढ़ाने की चेतावनी दी है।

अब कोई भ्रम नहीं – चीन की दो टूक

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ने साफ किया कि अब संवाद की उम्मीदें छोड़ दी गई हैं, हालांकि भविष्य में बातचीत के लिए एक छोटी सी खिड़की अभी भी खुली है।

वैश्विक बाजारों में भूचाल

ट्रंप के टैरिफ की घोषणा के बाद वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली। हालांकि मंगलवार को जापान का निक्केई 6% और चीनी शेयर बाजार 1% उछले, लेकिन निवेशकों की चिंता अभी भी बनी हुई है

यूरोप के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज Euronext के प्रमुख स्टेफ़ेन बोजनाह ने कहा, “अब अमेरिका एक उभरते हुए बाजार की तरह व्यवहार कर रहा है, न कि वैश्विक स्थिर शक्ति की तरह।

सिटी ग्रुप ने चीन की 2025 की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 4.7% से घटाकर 4.2% कर दिया है। UBS, गोल्डमैन सैक्स और मॉर्गन स्टैनली जैसे वित्तीय संस्थानों ने भी मंदी की चेतावनी दी है।

यूरोप की रणनीति – संयम और दबाव

यूरोपीय संघ भी अमेरिकी टैरिफ के जवाब में सोयाबीन और सॉसेज जैसी वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है।
ईयू अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने चीन के प्रधानमंत्री ली च्यांग से “फेयर ट्रेडिंग सिस्टम” बनाए रखने का आह्वान किया है।

शी जिनपिंग की दोहरी चुनौती

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब वैश्विक ताकत दिखाने के साथ-साथ घरेलू अर्थव्यवस्था को संभालने की कोशिश में हैं, जो अभी भी हाउसिंग क्राइसिस और कमज़ोर खपत से जूझ रही है।

चीन अब अमेरिकी व्यापार पर निर्भरता कम करने की रणनीति पर काम कर रहा है। 2017 में चीन के 19% निर्यात अमेरिका को जाते थे, जो अब घटकर 15% से कम हो गए हैं।
ब्राज़ील ने अमेरिकी सोयाबीन बाजार में बड़ी सेंध लगा दी है।

पूर्ण ‘डिकपलिंग’ नहीं चाहता चीन

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अभी भी डिप्लोमेटिक चैनल खुले रखना चाहता है, लेकिन संदेश देना चाहता है कि “हम डरने वाले नहीं हैं, पीछे नहीं हटेंगे।

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