मध्य प्रदेश के धार जिले के पिथमपुर स्थित तारापुर गांव में हाल ही में जहरीले कचरे के निपटान को लेकर भारी तनाव पैदा हो गया है। 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े 337 टन जहरीले कचरे को यहां लाकर ठिकाने लगाने की योजना है, जिसके बाद से स्थानीय लोगों में भारी विरोध और आक्रोश देखने को मिल रहा है।
60 वर्षीय सब्जी विक्रेता शिवनारायण दसाना ने बताया कि उन्होंने पहले कभी अपने गांव में इतनी भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात नहीं देखा। पिथमपुर, जो अपने ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल फैक्ट्रियों के लिए जाना जाता है, अब एक गढ़ जैसा बन गया है।
यह कचरा 3 जनवरी को पिथमपुर लाया गया, जिसके अगले दिन गांव में भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके हैं, जिनमें पत्थरबाजी और आत्मदाह के प्रयास तक हुए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि जहरीले कचरे को उनके घरों के पास ठिकाने लगाने से गंभीर पर्यावरणीय खतरा पैदा हो सकता है। ग्रामीणों की आशंका है कि इससे न केवल उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ेगा बल्कि यह एक और पर्यावरणीय आपदा को जन्म दे सकता है।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करते हुए अब तक 100 लोगों के खिलाफ 7 मामले दर्ज किए हैं। इसके बावजूद, स्थानीय लोग छोटे-छोटे सामुदायिक बैठकों में अपनी चिंताओं को उठाना जारी रखे हुए हैं।
विरोध प्रदर्शन और पुलिस गश्त के बीच, तारापुर और आसपास के इलाकों में भय और असमंजस का माहौल बना हुआ है।