महाराष्ट्र: नासिक के आदिवासी गांव हिवाली में स्थित जिला परिषद स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अनूठी उपलब्धियों से सुर्खियां बटोर रहा है। यह सरकारी स्कूल न केवल पढ़ाई के पारंपरिक तरीकों को अपनाता है, बल्कि बच्चों को दोनों हाथों से लिखने, दो भाषाओं में निपुणता, संविधान के खंड रटने, रूबिक क्यूब सुलझाने और जैविक खेती, वेल्डिंग, बिजली के काम जैसे व्यावहारिक कौशल में भी निपुण बना रहा है।
स्कूल का इतिहास और बदलाव की कहानी
2009 में शुरू हुए इस स्कूल में केवल 9 छात्र थे। शिक्षा की कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के बावजूद, शिक्षक केशव गावित के नेतृत्व में यह स्कूल बदलाव की कहानी लिखने लगा। 2014 तक स्कूल में छात्रों की संख्या बढ़ने लगी, और आज यह स्कूल शिक्षा के प्रति समग्र दृष्टिकोण का प्रतीक बन चुका है।
मंत्री दादा भुसे भी हुए प्रभावित
महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने हाल ही में स्कूल का दौरा किया। उन्होंने छात्रों की पढ़ाई और व्यावहारिक कौशल को देखकर कहा, “यह स्कूल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के परिवर्तनकारी प्रभाव का अद्भुत उदाहरण है।” उन्होंने बच्चों की अंग्रेजी बोलने की क्षमता, जैविक सब्जियां उगाने और सामान्य ज्ञान में निपुणता की सराहना की।
बच्चों का समग्र विकास
स्कूल के छात्र न केवल शैक्षणिक उपलब्धियों में उत्कृष्ट हैं, बल्कि जैविक खेती, कला, और व्यावसायिक कौशल में भी अग्रणी हैं। केशव गावित ने बताया कि यह परिवर्तन घर-घर जाकर जागरूकता फैलाने और बुनियादी पढ़ने-लिखने की शिक्षा से शुरू हुआ।
आगे की राह
हिवाली स्कूल अब अन्य स्कूलों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुका है। शिक्षा मंत्री भुसे ने इस मॉडल को राज्यभर में लागू करने की संभावना पर भी विचार किया है।