रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आईआईटी की तैयारी कर रहे एक छात्र को साइबर ठगों ने “डिजिटल अरेस्ट” के नाम पर ठगने की कोशिश की। ठगों ने खुद को मुंबई कस्टम विभाग और क्राइम सेल का अधिकारी बताकर छात्र पर आतंकवादी संगठन से जुड़े होने का फर्जी आरोप लगाया और उसे डराकर कमरे में बंद करवा दिया।
कैसे हुआ साइबर फ्रॉड?
16 वर्षीय छात्र को एक अनजान फोन कॉल आया। कॉलर ने खुद को कस्टम अधिकारी बताया और आरोप लगाया कि उसके नाम से एक पार्सल मिला है, जिसमें गैरकानूनी सामान है। इसके बाद, ठगों ने मुंबई क्राइम सेल का अधिकारी बनकर छात्र को और डराया और उसे “डिजिटल अरेस्ट” का झांसा देकर कमरे में बंद रहने और किसी से बात न करने का निर्देश दिया।
मां के फोन से सुलझा मामला
छात्र की मां ने फोन किया, तो उसने घबराहट में पूरी घटना बताई। मां ने तुरंत दुर्ग पुलिस के सीसीटीएनएस प्रभारी डॉ. संकल्प राय से संपर्क किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि “डिजिटल अरेस्ट” जैसी कोई चीज़ नहीं होती।
हॉस्टल वार्डन ने तोड़ा दरवाजा
छात्र की मां ने हॉस्टल वार्डन से संपर्क किया। जब छात्र ने दरवाजा नहीं खोला, तो वार्डन ने दरवाजा तोड़कर उसे बाहर निकाला।
असली पुलिस से मिलकर सामान्य हुआ छात्र
डर को दूर करने के लिए मां ने छात्र को भिलाई में असली पुलिस से मिलवाया। पुलिस अधिकारियों ने उससे बातचीत कर और कंट्रोल रूम दिखाकर उसे आश्वस्त किया।
सतर्कता के लिए सुझाव
- किसी अनजान कॉल पर निजी जानकारी साझा न करें।
- किसी फर्जी अधिकारी के दावों पर तुरंत संबंधित विभाग से संपर्क करें।
- साइबर अपराधों के प्रति जागरूक रहें।
- संदिग्ध कॉल या गतिविधि पर तुरंत पुलिस को सूचना दें।
यह घटना साइबर अपराधियों की नई रणनीति को उजागर करती है। सतर्कता और सही समय पर कदम उठाने से ऐसे अपराधों से बचा जा सकता है।