दुर्ग केंद्रीय जेल में बंदियों के जीवन को नई दिशा, एलईडी बल्ब निर्माण बन रहा आत्मनिर्भरता का जरिया

दुर्ग, 23 मई 2025:
दुर्ग की केंद्रीय जेल अब केवल दंड भुगतने का स्थान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर एक प्रेरणादायक केंद्र बन चुकी है। जेल अधीक्षक श्री मनीष संभाकर की दूरदर्शी पहल के तहत यहां बंदियों को एलईडी बल्ब निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे एक नया हुनर सीखकर अपने भविष्य को नई दिशा दे रहे हैं।

इस योजना के तहत बंदियों को चरणबद्ध तरीके से बल्ब निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया। जिन लोगों ने पहले कभी बल्ब बनाने की कल्पना भी नहीं की थी, वे आज सैकड़ों बल्ब तैयार कर कुशल कारीगर बन चुके हैं। अब इन बल्बों को बाजार में भी बेचा जा रहा है, जिससे बंदियों को आत्मविश्वास और सम्मान का अनुभव हो रहा है।

जेल प्रशासन का मानना है कि इस पहल से बंदी सजा पूरी करने के बाद खुद का व्यवसाय शुरू कर सकेंगे और समाज की मुख्यधारा में पुनः शामिल हो पाएंगे। यह कार्यक्रम ना सिर्फ जेल की छवि को बदल रहा है, बल्कि समाज को भी यह संदेश दे रहा है कि सुधार और बदलाव हमेशा संभव है।

बंदियों ने भी इस पहल को सराहा है और कहा है कि अब उन्हें अपने जीवन में आशा की एक नई किरण दिखाई दे रही है। उनके परिवारों ने भी इस बदलाव को सकारात्मक रूप में लिया है, और वे अब अपनों को एक नया जीवन जीते देखने का सपना देख रहे हैं।

दुर्ग केंद्रीय जेल की यह पहल पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में एक मिसाल बन रही है। यह सिद्ध करती है कि यदि सही मार्गदर्शन और अवसर मिले तो हर जीवन में बदलाव संभव है।

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