बस्तर में एनएमडीसी ने 3000 से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित कर बनाया आत्मनिर्भर

रायपुर: छत्तीसगढ़ के सबसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक, बस्तर, में एनएमडीसी लिमिटेड ने 3,000 से अधिक आदिवासी युवाओं को कौशल विकास के जरिए आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया है। देश की सबसे बड़ी लौह अयस्क उत्पादक कंपनी ने दंतेवाड़ा जिले में स्थित अपने दो खनन क्षेत्रों के आसपास के युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर उनकी आजीविका सशक्त की है।

एनएमडीसी ने अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत दंतेवाड़ा में पॉलिटेक्निक कॉलेज और आईटीआई भांसी की स्थापना की है। ये संस्थान युवाओं को इंडस्ट्री-उपयोगी कौशल प्रदान करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यह पहल भारत सरकार के “स्किल इंडिया” अभियान और राष्ट्रीय कौशल मिशन के तहत चलाई जा रही है।

पॉलिटेक्निक कॉलेज, दंतेवाड़ा

  • शुरुआत: 2010-11
  • कोर्स: मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल ट्रेड
  • क्षमता: हर साल 126 छात्रों का प्रवेश
  • सुविधाएं: 27 क्लासरूम, 54 लैब, 6 वर्कशॉप और 9 ट्यूटोरियल रूम
  • निवेश: अब तक ~20 करोड़ रुपये
  • उपलब्धियां: पिछले चार वर्षों में 504 में से 346 छात्रों को सीधा रोजगार मिला, शेष को अप्रत्यक्ष रोजगार।

आईटीआई भांसी

  • शुरुआत: 1999-2000
  • कोर्स: इलेक्ट्रिशियन, फिटर, वेल्डर, मैकेनिक डीजल, मैकेनिक मोटर वाहन
  • क्षमता: हर साल 128 छात्रों का प्रवेश
  • रैंकिंग: छत्तीसगढ़ में प्रथम और देश में 21वीं रैंक (CRISIL)
  • उपलब्धियां: 1,200 छात्रों को सीधा और 1,000 से अधिक को अप्रत्यक्ष रोजगार।

आदिवासी कला और सांस्कृतिक संरक्षण

एनएमडीसी ने बस्तर की पारंपरिक जनजातीय कलाओं जैसे बेल मेटल, बांस, जूट और तुम्बा कला को सहेजने के लिए ~2 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह पहल सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के साथ-साथ टिकाऊ आजीविका के अवसर भी प्रदान करती है।

छात्रवृत्ति और सामाजिक प्रभाव

आर्थिक रूप से कमजोर आदिवासी छात्रों को हर महीने ~400 रुपये की छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है, जिससे उनकी शिक्षा की राह सुगम होती है।

एनएमडीसी के ये प्रयास न केवल युवाओं को रोजगार के अवसर दे रहे हैं, बल्कि बस्तर क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी अहम योगदान दे रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *