छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने राज्य की मस्जिदों में दिए जाने वाले उपदेशों (खुतबों) की जांच करने का आदेश जारी किया है। इस कदम पर विरोध जताते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला कहा जा रहा है, लेकिन वक्फ बोर्ड ने शुक्रवार से इसे लागू करने की तैयारी कर ली है।
क्या है वक्फ बोर्ड का आदेश?
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज ने कहा, “अगर किसी मुतवल्ली (मस्जिद के प्रबंधक) ने राजनीति की या सरकार के खिलाफ बयान दिया, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। पहली बार उन्हें नोटिस दिया जाएगा और दूसरी बार पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी।”
बोर्ड ने मुतवल्लियों से उनके उपदेशों को 3-4 दिन पहले व्हाट्सएप पर भेजने का निर्देश दिया है। इन उपदेशों की जांच के लिए 10 लोगों की टीम नियुक्त की गई है। राज ने कहा, “हमने राज्य सरकार से 50 लोगों की मांग की थी, लेकिन फिलहाल 10 लोगों की टीम बनाई गई है। एक व्यक्ति एक दिन में 100 खुतबों की समीक्षा करेगा।”
आलोचना और समर्थन
इस आदेश पर विपक्षी कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि वक्फ बोर्ड का काम सिर्फ वक्फ संपत्तियों की देखरेख करना है। वहीं, राज ने इसे सामाजिक शांति बनाए रखने और मस्जिदों के राजनीतिक उपयोग को रोकने का कदम बताया।
राज ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह चुनावों के दौरान मस्जिदों का उपयोग राजनीतिक प्रचार के लिए करती रही है। उन्होंने कहा, “मुसलमान भोले और विश्वास करने वाले होते हैं। मस्जिदों से जारी फतवे कांग्रेस के पक्ष में वोट करने के लिए प्रभावित करते हैं। यह रुकना चाहिए।”
केंद्र सरकार के संशोधन विधेयक का समर्थन
राज ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ (संशोधन) विधेयक का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के विकास और विश्वास के लिए लाया गया है। अगर यह कानून 25 साल पहले आया होता, तो आज मुसलमानों की स्थिति और छवि अलग होती। आज वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग नहीं हो रहा है। कुछ संपत्तियों पर लोग मामूली किराए पर कब्जा किए हुए हैं।”
सलीम राज पर आरोप और उनकी प्रतिक्रिया
राज ने कहा कि आदेश जारी होने के बाद उन्हें धमकियां मिल रही हैं और उन्हें “काफिर” कहा जा रहा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि राज्य की 1,822 मस्जिदें, दरगाहें और खानकाहें इस प्रक्रिया से जुड़ चुकी हैं।
इस आदेश और केंद्र के वक्फ विधेयक को लेकर छत्तीसगढ़ और राष्ट्रीय स्तर पर बहस तेज हो गई है।