सीताराम येचुरी के निधन पर शोक: देशभर में श्रद्धांजलि अर्पित

सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी के गुरुवार को निधन के बाद देशभर में उनके प्रति शोक व्यक्त किया गया। उनके दोस्तों, प्रशंसकों और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने उनकी याद में भावुक श्रद्धांजलि अर्पित की। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने उन्हें “भारत की विचारधारा के संरक्षक” के रूप में याद किया, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके विभिन्न राजनीतिक धड़ों से जुड़ने की क्षमता की सराहना की। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी थीं, ने भी इसे राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति बताया।

सीताराम येचुरी: विचारधारा और प्रतिबद्धता

सीताराम येचुरी को उनके मित्रों ने भी याद किया, जिन्होंने उनके जाने से उत्पन्न खालीपन को महसूस किया। कांग्रेस की संसदीय पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2004 में उनके साथ अपनी दोस्ती को याद किया, जब कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) का गठन हुआ था। सोनिया गांधी ने कहा, “वे संविधान में निहित मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता रखते थे और धर्मनिरपेक्षता के प्रबल समर्थक थे।” उन्होंने येचुरी को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बने आई.एन.डी.आई.ए. (INDIA) समूह के उदय में महत्वपूर्ण योगदान देने का श्रेय दिया।

अंतिम विदाई और अंगदान

14 सितंबर 2024 को येचुरी का पार्थिव शरीर दिल्ली के गोले मार्केट स्थित सीपीआई (एम) मुख्यालय, ए.के. गोपालन भवन में सुबह 11 बजे से 3 बजे तक श्रद्धांजलि देने के लिए रखा जाएगा। इसके बाद उनके शरीर को उनकी इच्छा के अनुसार मेडिकल रिसर्च के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को दान कर दिया जाएगा।

सीताराम येचुरी के निधन से भारतीय राजनीति में एक बड़ी क्षति हुई है। वे अपने जीवनकाल में समर्पित रूप से देश की विविधता और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए खड़े रहे।

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