दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े गंभीर आरोप लगाए हैं। मंगलवार को सीबीआई ने दिल्ली की एक अदालत में पेशी के दौरान बताया कि घोटाले से उत्पन्न पैसा मुख्यमंत्री केजरीवाल की इच्छानुसार खर्च किया गया।
सीबीआई के दावे
सीबीआई ने विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा के समक्ष यह दावा किया कि घोटाले से जमा किया गया पैसा आम आदमी पार्टी (आप) के फंड में जमा किया गया। एजेंसी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने गोवा विधानसभा चुनाव के लिए हर उम्मीदवार को ₹90 लाख देने का वादा किया था, और गोवा में 40 विधानसभा सीटें हैं।
सीबीआई के अनुसार, आम आदमी पार्टी के पूर्व संचार प्रमुख विजय नायर को केजरीवाल ने दक्षिण ग्रुप के साथ सौदा करने के लिए नियुक्त किया था। इस समूह को एजेंसी ने “व्यवसायियों और नेताओं का गठजोड़” कहा, जिसने शराब लाइसेंसों के बदले में आप को ₹100 करोड़ की रिश्वत दी थी। इस गठजोड़ में भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता, अरुण पिल्लई, राघव मगुंटा, बुच्चीबाबू गोरांटला, पी सारथ रेड्डी, अभिषेक बोइनपल्ली और बेनोय बाबू शामिल थे।
गोवा चुनाव में फंड का उपयोग
सीबीआई का आरोप है कि इस घोटाले से प्राप्त धन को गोवा चुनाव में पार्टी के निर्देशानुसार खर्च किया गया। राजिंदर नगर से आप विधायक दुर्गेश पाठक को गोवा चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया गया था, और उनके निर्देशानुसार ही सभी खर्च किए गए। एजेंसी का यह भी दावा है कि चुनाव खर्च से संबंधित सभी लेन-देन नकद में किए गए थे।
केजरीवाल की न्यायिक हिरासत बढ़ी
दिल्ली की अदालत ने इस मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल की न्यायिक हिरासत को 3 सितंबर तक बढ़ा दिया है। आपको बता दें कि केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और वे तब से तिहाड़ जेल में बंद हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली शराब नीति घोटाले में सीबीआई द्वारा लगाए गए आरोप न केवल केजरीवाल के राजनीतिक करियर बल्कि आम आदमी पार्टी की छवि के लिए भी गंभीर संकट पैदा कर सकते हैं। इस मामले में आगे की कानूनी कार्यवाही और अदालत के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।