एनएमडीसी की बढाई गई लीज, राज्य के उद्योगों को प्रामिकता के आधार पर करनी होगी लौह अयस्क आपूर्ति

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) की बैलाडीला लौह अयस्क खदान की लीज 20 वर्षों के लिए बढ़ा दी गई है। छत्तीसगढ़ के उद्योगों के विकास एवं स्थानीय रोजगार को उत्तरोत्तर वृद्धि को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बैलाडीला से एनएमडीसी द्वारा खनन किए गए लौह अयस्क की उपलब्धता निरंतर एवं प्राथमिकता के साथ छत्तीसगढ़ में स्थित उद्योगों को मिलें यह सुनिश्चित करने की शर्त के साथ ही खनिपट्टा विस्तारण करने के निर्देश दिए गए हैं।

रायपुर (छत्तीसगढ़)। राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड के चार खनिपट्टों को 1965 के पश्चात अभी खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 के अधीन बनाए गए नियमों के तहत राज्य शासन द्वारा खनिज (सरकारी कम्पनी द्वारा खनन) नियम, 2015 के अंतर्गत विस्तारण का स्वीकृति जारी की गई है। एनएमडीसी लौह अयस्क खनन के क्षेत्र में देश का सबसे बडा सार्वजनिक उपक्रम है एवं उनकी लगभग तीन चौथाई खनिज उत्पादन छत्तीसगढ़ के बैलाडीला पहाडिय़ों से होता है।
छग के उद्योगों को निरंतर देना होगा अयस्क
छत्तीसगढ़ के उद्योगों के विकास एवं स्थानीय रोजगार को उत्तरोत्तर वृद्धि को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बैलाडीला से एनएमडीसी द्वारा खनन किए गए लोह अयस्क की उपलब्धि निरंतर एवं प्राथमिकता के साथ छत्तीसगढ़ में स्थित उद्योगों को मिलें यह सुनिश्चित करने की शर्त के साथ ही खनिपट्टा विस्तारण करने के निर्देश दिया गया। तदानुसार खनिज साधन विभाग द्वारा खनि रियायत नियम, 2016 के नियम 12(1)(आई) के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में संचालित लोह अयस्क आधारित उद्योगों को उनके आवश्यकतानुसार खनिज लौह अयस्क की आपूर्ति निरंतर बनाए रखने की शर्त के साथ खनि पट्टों का विस्तारण आदेश जारी किया गया है।
स्टील उद्योग की चिंता होगी दूर
वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा खनिज अधिनियम एवं नियमो में लाए गए संशोधन के पश्चात कई राज्यों में लौह अयस्क खदाने 2020 मार्च के बाद जब तक नये सिरे से नीलामी ना हो जाय तब तक बंद होने की संभावनाएं बनी हुई है। इससे स्टील उद्योग भी कच्चे माल उपलब्धता को लेकर बेहद चिंतित है। समय पर की गयी खनिपट्टा विस्तारण से एवं उसमें स्थानीय उद्योगों की निरंतर लौह अयस्क उपलब्ध होने के रास्ता निकालने से राज्य एवं जनता के हित को ध्यान में रखा गया। एनएमडीसी द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 24 मिलियन मीट्रिक टन लौह अयस्क का उत्पादन किया जाता है एवं स्थानीय उद्योगों द्वारा लगभग 7 मिलियन मीट्रिक टन की आवश्यकता बताई जा रही है।

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