सुप्रीम कोर्ट ने 1984 में भोपाल गैस त्रासदी पर अपना फैसला सुनाया। अदालत ने मोहम्मद सुलेमान (एसीएस), एक अन्य महासचिव और मामले में शामिल अन्य लोगों को बरी कर दिया। सुलेमान को अमर कुमार सिन्हा और विजय कुमार विश्वकर्मा के साथ राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र ने अवमानना का दोषी पाया था। इस आधार पर कोर्ट पहले ही अन्य अनावेदकों के खिलाफ कार्यवाही के आदेश दे चुकी है। वहीं, सरकार ने आदेश रद्द करने के लिए अर्जी दाखिल की. सुनवाई के दौरान जस्टिस शेर नाग और विनय सराफ ने सरकार की याचिका स्वीकार कर ली और पहले के आदेश को रद्द करने का निर्देश दिया।
सरकार की ओर से उक्त आदेश वापस लेने का आग्रह करते हुए हाईकोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया गया था. इसमें कहा गया था कि न्यायालय के आदेश का परिपालन करने के पूरे प्रयास किए जा रहे है. युगल पीठ ने सुनवाई के बाद आवेदन पर फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए थे. अब युगलपीठ ने जारी आदेश में सरकार के आवेदन को स्वीकार करते हुए अवमानना के लिए दोषी ठहराए जाने वाले आदेश को रिकॉल करने के निर्देश जारी किए है
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किए गए थे