चीन ने मालदीव में लंगर डाला तो उसे लगा कि भारत कुछ नहीं करेगा। मालदीव ने पहले तो भारतीय सैनिकों को दिल्ली का रास्ता दिखाया फिर हाइड्रोग्राफिक सर्वे एग्रीमेंट रिन्यु करने की बात से पल्ला झाड़ा तो उसे लगा कि भारत खामोशी से सब सह लेगा। लेकिन भारत ने बड़ा खेल कर चीन और मालदीव दोनों की ही नींद उड़ा डाली है। ‘जटायु आतंकवाद से लड़ने वाला पहला व्यक्ति था’। लखनऊ की ऐशबाग रामलीला कार्यक्रम में पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी के बिल्कुल यही शब्द थे। अब मोदी सरकार ने तय किया है कि अगाती और मिनिकॉय आइलैंड पर नौसैनिक बेस बनाया जाएगा। विश्लेषकों का कहना है कि भारत का ये नेवल बेस अरब सागर में एक तरह से मालदीव का विकल्प है। लक्षद्वीप में भारतीय नौसैनिक अड्डे का निर्माण पूरा होने का मतलब है कि अब जल्द ही राफेल जैसे भारत के सबसे घातक फाइटर जेट लक्षद्वीप में उतर सकेंगे। यहीं नहीं भारतीय लड़ाकू विमानों की ये गर्जना मालदीव के मुइज्जू के रास्ते चीन तक सुनाई देगी।
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क्या है आईएनएस जटायु
एक देश अपनी सुरक्षा तीन तरह से कर पाता है। थल सेना, वायु सेना और नौसेना के जरिए। इन्हें सशक्त करके ही देश अपने सुरक्षाबल को मजबूत कर पाता है। भारतीय नौसान ने 6 मार्च को मिनिकॉय द्वीप पर दूसरे नौसैनिक बेस की शुरुआत की है। ये आईएनएस जटायु है। ये नेवल बेस किन मायनों में भारत के लिए फायदेमंद होगा आइए आपको बताते हैं। जटायु बेस मालदीव से 524 किलोमीटर दूर है। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने इस बेस की शुरुआत की है। आईएनएस जटायु को कमांडेंट व्रत बघेल की कमान में शामिल किया गया है। मालदीव के साथ भारत की स्थिति के बाद लक्षद्वीप रणनीतिक तौर पर भी और ज्यादा खास बन गया है।
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लक्षद्वीप रणनीतिक रूप से कितना अहम ?
मलयालम और संस्कृत भाषा में लक्षद्वीप का मतलव है एक लाख द्वीप। यह कोच्चि से 440 किमी. दूर 36 द्वीपों का समूह है। इसका कुल क्षेत्रफल 32 वर्ग किलोमीटर है। लक्षद्वीप हिंद महासागर और अरव सागर में कोरलाइन द्वीपों की चेन का हिस्सा है। इसमें दक्षिण में मालदीव है। हिंद महासागर में स्थिति को देखते हुए लक्षद्वीप रणनीतिक रूप से बेहद अहम है।