एक मासूम के अपनों की ही हैवानियत का शिकार होने का, इंसानियत को शर्मसार करने का मामला सामने आया है। जिस चाचा और पिता को मासूम अपना रखवार मान रही थी। उन्हीं की हैवानियत का वह शिकार हो गई। चाचा ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया और इस जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने वालीं मां की पिता ने हत्या कर दी। इस मामले को फास्ट टे्रक कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए पुलिस को मासूम की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने का निर्देश दिया है। साथ जिला प्रशासन को मासूम सहित उसके भाई-बहन की परवरिश व शिक्षा की व्यवस्था करने कहा है। न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी की अदालत में विचाराधीन इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अति. लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा पैरवी कर रहें है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। इस शर्मनाक और दिल दहला देने वाली दास्तां की शुरुआत पिछले साल शुरु हुई थी। खुर्सीपार थाना क्षेत्र में अपने परिजनों के साथ रहने वाली 11 साल की मासूम को उसके चाचा ने अपनी हवस का शिकार बना लिया था। इसकी जानकारी होने पर मासूम की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। जिस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। चाचा के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत को वापस लेने परिजन उसकी मां पर लगातार दबाव बना रहे थे। जिसमें मासूम का अब्बा भी शामिल था।
अब्बू ने की अम्मीं की हत्या
इस घटना के बाद मासूम अपनी अम्मीं-अब्बू व छोटे भाई-बहन के साथ रायपुर के सरस्वती नगर थाना क्षेत्र में निवास करने लगी थी। इस दौरान भी उसका अब्बा अपने भाई के खिलाफ पुलिस में दर्ज केस को वापस लेने मासूम के साथ उसकी अम्मीं पर दबाव बनाता रहा। 29 सितंबर 2019 की रात इसी बात को लेकर मिंया बीबी में विवाद हुआ और शौहर ने मासूम की मौजूदगी में अपनी बीबी की गला घोंटकर हत्या कर दी। साथ ही इस संबंध में मुंह खोलने पर मासूम को भी जान से मार देने की धमकी दी। इस मामले में सरस्वती नगर पुलिस ने आरोपी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल दाखिल कर दिया था।
मासूम ने सिसकतें हुए अदालत में सुनाई दास्तां
अपने अब्बू द्वारा अम्मी की गला घोंटकर हत्या किए जाने की जानकारी मासूम ने अति. लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा को दी। जिसके बाद सिसकते हुए अदालत में अपने साथ हुई हैवानियत की दास्तां सुनाई। पीडिता ने बताया कि मां की हत्या के बाद वह अपने छोटे भाई व बहन के साथ नाना-नानी के घर रह रहे है। नाना-नानी भींख मांगकर उनका भरण पोषण कर रहे है।
कोर्ट ने पुलिस व प्रशासन को दिए निर्देश
मासूम व उसके भाई बहन के साथ हो रही ज्यादती को न्यायालय ने गंभीरता से लिया। न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी ने मासूम को जान का खतरा होने का अहसास करते हुए पुलिस को मासूम को विक्टिम प्रोटेक्शन एक्ट स्कीम व विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम के तहत पुख्ता सुरक्षा के इंतजाम करने के निर्देश दिए है। साथ ही जिला प्रशासन को मातृत्व सुख से वंचित मासूमों की बेहतर परवरिश व शिक्षा की व्यवस्था शासन के मद से करने का आदेश दिया है। इसके अलावा मासूम को 1 लाख रु. की आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने का भी निर्देश दिया है। साथ ही आदेश के पालन पर की गई कार्रवाई की जानकारी प्रतिवेदन के माध्यम से न्यायालय में देने कहा है।
Why the accused names not revealed, just because it is of minority.
Then where is secularism.
Those guilty should be hanged till death whether it belongs to any of the community.
But the names should have been revealed.
अनाचार के किसी भी मामले में पीड़ित का नाम अथवा पहचान उजागर न किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश है… धर्म या संप्रदाय से इसका कोई लेना-देना नहीं है…