जगदलपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री बघेल ने आज 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद आदिवासी समाज की संस्कृति और पर्वों के संरक्षण के लिए बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज की संस्कृति एवं पर्वों के संरक्षण के लिये राज्य सरकार कटिबद्ध रही है। आगामी वित्तीय वर्ष से बस्तर संभाग, सरगुजा संभाग और प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समाज के पर्वों के बेहतर आयोजन के लिये मुख्यमंत्री आदिवासी पर्व सम्मान निधि के तहत प्रतिवर्ष प्रत्येक ग्राम पंचायत को 10 हजार रूपये प्रदान करने की घोषणा की।
इसके तहत प्रदेश में आदिवासी समाज के मड़ई, दियारी, माटी पूजन, सरहुल, कर्मा त्यौहारों जैसे अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर सम्मान निधि प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री द्वारा आदिवासी समाज के संस्कृति और पर्वों के संरक्षण लिए की जा रही पहल का मुख्य उद्देश्य आदिवासी संस्कृति और परम्परा को सहेजना, उसे मूल स्वरूप में अगली पीढ़ी को हस्तांतरण करना और सांस्कृतिक परम्पराओं का अभिलेखीकरण करना है।
गौरतलब है कि आदिवासियों का जनजीवन मुख्य रूप से कृषि और उनकी सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित होता है। उनके जीवन में तीज त्यौहार एवं रीति रिवाजों का अलग ही महत्व होता है। आदिवासी समाज के त्यौहार उनके दैनिक जीवन से जुड़े कार्यो, नई फसल के आगमन, कृषि कार्यों, शिकार उत्सव तथा वन के नव पुष्पित फल-फूलों से संबंधित है। ये त्यौहार आदिवासियों द्वारा परंपरागत तरीको से मनाये जाते हैं।
इसके साथ ही फरवरी से लेकर अप्रैल के महिनों में विभिन्न स्थानों पर आयोजित होने वाले मेला-मंडई भी आदिवासी जनजीवन में उत्साह का प्रमुख केंद्र रहें हैं। मंडई की परम्परा भी देवी देवताओं की पूजा से जुड़ी होती है। मेले-मंडई भी देवी देवताओं की विशेष प्रसिद्धि और उनके कुल के ऐतिहासिक महत्व के स्थानों में आयोजित होते हैं।