दुर्ग (छत्तीसगढ़)। बहुचर्चित रावलमल जैन दंपति के दोहरे हत्याकांड पर आज अदालत ने फैसला सुना दिया है। न्यायाधीश ने इस हत्याकांड को विरल से विरतम श्रेणी में मानते हुए मुख्य अभियुक्त पुत्र संदीप जैन को दोहरे हत्याकांड के लिए दोषी करार देते हुए दोनों मामलों में अलग-अलग मृत्युदंड की सजा से दंडित किए जाने का फैसला दिया है। न्यायाधीश ने अपने फैसले माता-पिता के प्रति पुत्र के दायित्व के और माता-पिता के महत्व को प्रतिपादित करते हुए भगवत गीता, पद्म पुराण, मनु स्मृति, महाभारत व हरिवंश पुराण के विष्णु पर्व का वर्णन किया हैं। वहीं हरिशंकर परसाई की कविता के अंश का भी उल्लेख किया है। हत्या में प्रयुक्त पिस्तौल की सप्लाई करने के आरोपी शैलेन्द्र सिंह सागर और भगत सिंह गुरूदत्ता को आर्म्स एक्ट के तहत 5-5 वर्ष के कारावास से दंडित किया गया है। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुरेश प्रसाद शर्मा ने पैरवी की थी। बता दें कि मृतक रावलमल जैन समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उनका जैन तीर्थ पार्श्व नाथ नगपुरा की स्थापना से अहम योगदान था। उनकी हत्या की खबर से पूरे देश में सनसनी फैल गई थी।
मामला दुर्ग कोतवाली क्षेत्र का है। 1 जनवरी 2018 की तड़के आरोपी संदीप जैन (42 वर्ष) ने अपने पिता व माता की गोली मारकर हत्या कर दी थी। आरोपी ने पहले अपने पिता को बाथरूम जाते समय पीठ पर गोलियां मारी थी। जिसके बाद गोलियों की आवाज सुनकर मां सुराजी बाई द्वारा संदीप के भांजे को फोन लगाए जाने पर उनकी भी निर्मम हत्या कर दी थी। हत्या का खुलासा करते हुए पुलिस ने एक जनवरी की सबेरे ही हत्या के आरोपी जैन दंपति के पुत्र को गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ में आरोपी ने बताया था कि उसके पिता रूढ़िवादी विचारधारा के थे और बात बात में उस पर रोकटोक लगाते थे। जिससे नाराज होकर उसने पिता की हत्या कर दी। उसका अपनी मां को मारने का इरादा नहीं था, लेकिन भेद खुल जाने के भय में माता सुराजी बाई की हत्या कर दी।
पुलिस पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि संदीप ने पिता की हत्या की योजना को अंजाम देने शैलेन्द्र सिंह सागर और भगतसिंह गुरूदत्ता से एक लाख 35 हजार रूपए में पिस्तौल खरीदा। पत्नी व बच्चों को 27 दिसंबर 2017 को मायके दिल्ली राजहरा भेज दिया और घर में सोने आने वाले नौकर को भी छुट्टी दे दी थी। एक जनवरी की सबेरे लगभग 5 बजे पिता नित्यकर्म से निवृत्त होने बाथरूम जा रहे थे तभी उनकी पीठ पर पिस्तौल से तीन गोली दाग दी थी। जिसके बाद वह घर में अपने उपर वाले कमरे में चला गया। इसी दौरान गोली की आवाज सुनकर उसकी मां सुरजी बाई का मोबाइल पर कॉल आने लगा। जिसे उसने रिसीव नहीं किया। जिसके सुरजी बाई अपने नाती को फोन लगाने लगीं। भेद खुल जाने के भय से संदीप अपने कमरे निकल कर नीचे और कमरे में बिस्तर पर लेटी मां पर गोली चला दी। जिससे उनकी मौत हो गई। हत्या को अंजाम देने के बाद संदीप अपने कमरे में फिर से चला गया।
वारदात के समय आरोपी हाथ में दास्तान और कुर्ता पहने था। जिसे उसने बिस्तर के गद्दे की नीचे से छुपा दिया था और हत्या में प्रयुक्त पिस्तौल को घर की पीछे खिड़की से नीचे फेंक दिया था। जो वहां खड़े एक मालक वाहक के डाले में गिरा था। इन सभी सामानों व पिस्तौल को पुलिस ने जब्त कर लिया था।
इस प्रकरण पर विचारण पश्चात न्यायाधीश शैलेष तिवारी ने मुख्य अभियुक्त संदीप जैन को पिता व माता की हत्या के आरोप में दफा 302 के तहत अलग-अलग मृत्युदंड की सजा से दंडित किए जाने का फैसला दिया है। साथ ही आर्म्स एक्ट की धारा 25 (1-ख) के तहत 5 वर्ष तथा धारा 27 (2) 10 वर्ष कारावास व कुल 4000 रूपए के अर्थदण्ड से दंडित किया। वहीं पिस्तौल की सप्लाई करने वाले शैलेन्द्र सिंह सागर व भगतसिंह गुरूदत्ता को आर्म्स एक्ट के तहत 5-5 वर्ष के कारावास व 1000-1000 रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है।
310 पेज के फैसले में न्यायधीश इस हत्याकांड को कायरता पूर्ण कृत्य करार दैते हुए लिखा है कि इस परिस्थिति में अभियुक्त को कम सजा दिया जाना उचित नहीं है। उन्होंने फैसले में में माता-पिता के प्रति पुत्र के कर्त्तव्य का उल्लेख भी किया है। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 15 गवाह पेश किए गए थे।