दुर्ग (छत्तीसगढ़)। हाइटेंशन लाइन की चपेट में आने से एक मजदूर की मौत होने तथा एक मजदूर के झुलसकर घायल होने के मामले में अदालत ने फैसला सुनाया है। इस मामले में अदालत ने आरोपी इंडस्ट्री संचालक तथा मजदूरों के ठेकेदार को दोषी करार दिया है। दोनों आरोपियों को कुल डेढ़-डेढ़ साल के कठोर कारावास व कुल 60,500-60,500 रूपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। आरोपियों से वसूली गई अर्थदंड की राशि में से एक लाख रुपए मृतक मजदूर के परिजनों तथा शेष 21 हजार रूपए घायल मजदूर को प्रदान किए जाने का आदेश भी अदालत ने दिया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश (विद्युत अधिनियम) संजीव कुमार टामक की अदालत में सुनाया गया है। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष अपर लोक अभियोजक छन्नूलाल साहू ने पैरवी की थी।
हादसा खुर्सीपार के लाइट इंडस्ट्रियल एरिया स्थित सूरी इंडस्ट्री में घटित हुआ था। इंडस्ट्री के संचालक स्मृति नगर निवासी अचल सूरी (34 वर्ष) द्वारा ठेकेदार खुर्सीपार निवासी शिवदेश्वर शर्मा के माध्यम से फैक्ट्री स्थल पर शेड निर्माण का कार्य कराया जा रहा था। फैक्ट्री के पास से ही 11000 वोल्ट प्रवाहित हाइटेंशन लाइन गुजरती है। 16 नवंबर 2018 की सवेरे लगभग 9 बजे ठेकेदार के मजदूर एम. रामाराव और आनंद शंकर शेड निर्माण के लिए उपर खड़े होकर नापजोख कर रहे थे। इसी दौरान नापने के लिए उपयोग में आने वाला टेप हाइटेंशन लाइन के संपर्क में आ गया और करंट लगने से एम. रामाराव और आनंद शंकर नीचे गिर गए। उन्हें एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया जहां डाक्टरों ने एम रामाराव को मृत घोषित कर दिया था। पुलिस ने दुर्घटना से मौत के अपराध दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की थी।
वहीं इस दुर्घटना की शिकायत सीएसपीडीसीएल के छावनी जोन एई द्वारा दर्ज कराए जाने पर पुलिस ने विधुत अधिनियम की धारा 146 के तहत भी अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के लिए अदालत के समक्ष पेश किया गया। प्रकरण पर विचारण विशेष न्यायालय (विद्युत अधिनियम) में किया गया।
प्रकरण पर विचारण के पश्चात न्यायाधीश ने पाया कि कार्य स्थल विद्युत हाइटेंशन लाइन के पास होने के बावजूद शेड निर्माण की अनुमति आरोपियों ने विद्युत मंडल से नहीं ली थी। वहीं मजदूरों को आवश्यक सुरक्षा सामग्री भी प्रदान नहीं की गई थी। जिसके चलते यह गंभीर हादसा घटित हुआ। न्यायाधीश ने आरोपी इंडस्ट्री संचालक अचल सूरी (34 वर्ष) तथा ठेकेदार शिवदेश्वर शर्मा (49 वर्ष) को दफा 304 (ए) के तहत एक-एक वर्ष कारावास व 50000-50000 रूपए अर्थदंड, दफा 337 के तहत 3-3 माह कारावास व 500-500 रूपए अर्थदंड तथा विद्युत अधिनियम की धारा 146 के तहत 3-3 माह के कारावास और 10000-10000 रूपए के अर्थदंड से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया है।