लगभग ढाई साल पहले हुए अंधे कत्ल के मामले में न्याायलय द्वारा आरोपी की निर्दयी मानसिकता को देखते हुए आजीवन कारवास की सजा से दंडि़त किया गया है। आरोपी अपनी पत्नी की पिटाई कर उसे गंभीर रुप से घायल अवस्था में कमरे में बंद कर भाग गया था। जिससे उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में आरोपी को पुलिस पकडऩे में असफल रही थी। लगभग डेढ़ वर्ष बाद नागपुर की कलमना पुलिस की सपड़ में चोरी के एक मामले में आए युवक से पूछताछ में उसका इस हत्या में हाथ होने का खुलासा हुआ था। प्रकरण पर विचारण पश्चात न्यायाधीश अजीत कुमार राजभानू ने आरोपी को हत्या का दोषी करार दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से अति. लोक अभियोजक फरिहा अमीन ने पैरवी की थी।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला मोहन नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित तितुरडीह के दानबाई बाड़ा का है। 8 जनवरी 2017 को पुलिस को यहां बंद कमरे में युवती का शव मिलने की सूचना मिली थी। शव कि शिनाख्त पडौसियों ने पूजा राजपूत पति देवेन्द्र राजपूत के रुप में की थी। युवती अपने पति के साथ 15 दिन पहले ही यहां किराए से रहने आई थी। उसके सिर पर चोट के निशान थे और नाक में रुई घुसी हुई थी तथा माथे पर बेंडेज लगा हुआ था। वहीं पति गायब था। पडौसियों ने पुलिस को बताया कि मृतका के कमरे पर ताला लगा हुआ था। दरवाजे के उपर चाबी थी। संदेह होने पर दरवाजा खोला गया तो अंदर चादर व गद्दे में लिपटी पूजा पड़ी थी। उसके शरीर पर चीटियां रेंग रही थी। उसकी मौत हो गई थी। इस मामले को पुलिस ने दफा 302 के तहत दर्ज कर पडताल में लिया था। प्रारंभ में पुलिस महिला के राजिम का निवासी होने के आधार पर जांच कर रही थी। पुलिस को मौके से मिले आधार कार्ड से आरोपी पति की पहचान मुकेश सहारे के रुप मे हुई। जो मूल रुप से धनगांव (राजनांदगांव) का रहने वाला था। इसके बावजूद वह पुलिस की पकड़ से दूर था।
नागपुर पुलिस की गिरफ्त में आया था आरोपी
हत्या के इस मामले का आरोपी नागपुर की कलमना पुलिस के हत्थे चढ़ा था। कलमना पुलिस ने ने चोरी के एक मामले में आरोपी मुकेश सहारे उर्फ देवेन्द्र सहारे को चोरी के मामले में 21 मई 2018 को अपनी गिरफ्त में लिया था पूछताछ में उसने तितुरडीह में अपनी पत्नी की हत्या किए जाने का खुलासा किया था। कलमना पुलिस से जानकारी मिलने पर मोहन नगर पुलिस ने उसे 4 जून 2018 को अपने कब्जे में लिया था।
पूजा नही पूर्णिमा थी मृतका
जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि युवती बोरसी की निवासी है। युवती के पिता विजय विश्वकर्मा ने पुलिस द्वारा फोटो दिखाने पर उसकी पहचान की थी। युवती का वास्तिविक नाम पूर्णिमा था। पिता ने बताया कि पूर्णिमा कई दिनों से घर से लापता है। वह प्राय: घर में बिना बताए गायब हो जाती थी। इस कारण उसके गायब होने की सूचना पुलिस को नहीं दी गई थी।
न्यायालय ने कहा निष्ठुर हृदय, कम सजा देना उचित नहीं
इस प्रकरण में अभियोजन पक्ष ने कुल 10 गवाह न्यायालय के समक्ष पेश किए थे। प्राय: सभी गवाहों ने अभियोजन पक्ष का समर्थन किया। आरोपी के भाई योगेश कुमार ने न्यायालय के समक्ष स्वीकार किया कि मुकेश उर्फ देवेन्द्र और पूजा दोनों पति पत्नी के रुप में साथ रह रहे थे। वहीं आरोपी के रिश्ते में साला लगने वाले राहुल चावला ने न्यायालय को बताया कि आरोपी अपनी मां के साथ उसके घर आया था। उसने घटना के एक दिन पहले उसे बताया कि उसकी पत्नी बिना बताए घर से चली गई थी। वापस आने पर उसने उसकी पिटाई की है। पुलिस जांच में यह भी सामने आया था कि आरोपी ने युवती को बेलन व लकड़ी के पट्टे से बेहरमी से मारा था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। प्रकरण पर विचारण पश्चात न्यायाधीश अजीत कुमार राजभानू ने आरोपी को हत्या का दोषी माना। न्यायाधीश ने अपने फैसले में टिप्पणी की है कि आरोपी ने अपनी घायल पत्नी को इलाज की व्यवस्था न करा कर मरने के लिए छोड़ दिया था, जो उसकी निष्ठुर हृदय को दर्शाता है। इस कारण अभियुक्त को कम साजा से दंडि़त किया जाना उचित नही होगा। न्यायाधीश ने आभियुक्त को दफा 302 के तहत आजीवन कारावास तथा साक्ष्य छुपाने की धारा 201 के तहत 7 वर्ष के कारावास से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है।