हाइकोर्ट के आदेश व नगरीय प्रशासन के निर्देश के बावजूद जिम्मेदार लापरवाह, नहीं मिल रही नागरिकों को आवारा मवेशियों से निजात

प्रदेश भर में आवारा मवेशियों ने सड़को को अपना आशियाना बना रखा है। जिसके कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है और लोगों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है। इस समस्या को हाईकोर्ट ने गंभीरता लेते हुए आदेश जारी किया है, वहीं आदेश का परिपालन किए जाने के लिए प्रदेश के नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा संबंधितों को पत्र भी जारी किया गया। इसके बावजूद जिम्मेदार इस समस्या का निराकरण करने के प्रति उदासीन बने हुए है। जिसके चलते प्रदेश के मुखिया की नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना भी अधर में लटक गई है।फोर्थ नेशन (4TH NATION) के लिए रितेश तिवारी की रपट…

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। राज्य में सड़कों पर आवारा मवेशियों के कब्जें की समस्या विकराल रुप ले चुकी है। आवारा मवेशियों के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं मे रोज मौते हो रही है। लेकिन इसकी न तो जिला प्रशासन सुध ले रहा है और न हीं नगरीय निकाय इसके प्रति गंभीर नजर आ रहे है। राज्य से गुजरने वला स्टेट हाइवे हो या शहर के बीच की गली मोहल्ले की सड़कें हर जगह पर आपको जानवर बैठे मिल ही जायेंगे। सड़क में वाहन लेकर चलाना तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। स्कूली बच्चे, बुजुर्ग, वाहन चालक आये दिन हादसे का शिकार हो रहे है।
इस समस्या से निजात दिलाने हाईकोर्ट में संजय रजक द्वारा जनहित याचिका दाखिल की गई थी। जिसे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी.आर. रामचंद्रा मेनन तथा जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू ने गंभीरता से लिया नगर पालिक निगम अधिनियम के तहत दिए गए प्रावधानों का पालन कर इस समस्या से निजात दिलाने के शासन को 29 अगस्त को आदेश जारी किया था। इस आदेश का परिपालन करने के लिए छत्तीसगढ़ नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा समस्त नगरीय निकायों को 23 सितंबर को पत्र जारी कर कार्रवाई करने का निर्देश दिए थे। निर्देश में नगरीय निकायों को कहा गया था कि आवारा पशुओं को सड़क व मार्गो से हटाकर सुरक्षित स्थान पर रखा जाए। साथ ही सड़कों व मार्गो पर घूमते पाए जाने वाले मवेशियों के मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। इस संबंध में की गई कार्रवाई से 25 सितंबर को विभाग को अवगत कराने कहा गया था। इसके बावजूद आवारा मवेशियों के खिलाफ कार्रवाई करने की जहमत अधिकारियों द्वारा नहीं उठाई गई। जिसके चलते आज भी सड़कों व मार्गो पर मवेशियों का कब्जा कायम है, जो दुर्घटना का सबब बन रहे है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना की शुरआत की है जिसमे पशुओं को सुरक्षित रखने का भी प्रवधान है। इस योजना को भी अमल में लाने के प्रति अधिकारी गंभीर नजर नहीं आ रहे है। जिससे मवेशयों का सड़को पर डेरा लगा हुआ है। अब देखना होगा आखिर कब तक सरकारी मुलाजिम हाई कोर्ट के आदेश का पालन करते है और मवेशियों के मालिकों के खिलाफ कब कार्रवाई की जाती है। कब नागरिकों को आवारा मवेशियों से मुक्ति मिलेगी, ये बड़ा सवाल है।

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