छत्तीसगढ़ में गरीब मरीजों के लिए चलाई जा रही मुक्तांजलि निशुल्क शव वाहन (1099) एंबुलेंस सेवा में बड़ा घोटाला सामने आया है। यह योजना जरूरतमंद परिवारों को बिना किसी शुल्क के उनके परिजन के शव को घर तक पहुंचाने के लिए शुरू की गई थी, लेकिन अब इसमें भारी भ्रष्टाचार उजागर हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और एंबुलेंस सेवा संचालित करने वाली एजेंसियों ने मिलकर फर्जी बिलिंग के जरिए सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है।

कैसे हो रहा घोटाला?
- फर्जी नाम और नंबर: स्वास्थ्य विभाग के दस्तावेजों में मृतकों और उनके परिजनों के नाम फर्जी दर्ज किए गए हैं। जब इन नंबरों पर संपर्क किया गया तो संबंधित व्यक्ति ने बताया कि उनके परिवार में कोई मृत्यु ही नहीं हुई।
- किलोमीटर बढ़ाकर बिलिंग: कई मामलों में शव ले जाने की दूरी को मनमाने तरीके से बढ़ाकर भुगतान लिया गया।
- बिना जांच भुगतान: 70% भुगतान बिना किसी जांच के सीधे एजेंसियों को कर दिया गया।
- सरकारी बजट में लूट: हर साल इस योजना पर 18 से 20 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जबकि पिछले पांच साल में लगभग 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
घोटाले के चौंकाने वाले मामले
✅ केस 1: दस्तावेजों में एक नवजात प्रिया पाढ़ो (1 दिन का लड़का) की मृत्यु दिखाई गई। जब दिए गए नंबर पर कॉल किया गया तो वह व्यक्ति महेंद्र सिंह निकला, जिसका इससे कोई संबंध ही नहीं था।
✅ केस 2: कौशल्या बाई की मृत्यु 11 अप्रैल 2024 को हुई थी, लेकिन रिपोर्ट में 4 अप्रैल को मृत्यु बताकर राजनांदगांव तक शव छोड़ने का फर्जी रिकॉर्ड बनाया गया।
✅ केस 3: सविता गोंड नाम की महिला के दो दिन के बच्चे का शव अंबिकापुर से वाड्रफ नगर ले जाने का जिक्र था, लेकिन रिकॉर्ड में मृतक का नाम राम जीवन दर्ज किया गया, जबकि संबंधित नंबर पर विजेंदर नाम का व्यक्ति मिला, जिसने बताया कि उसके परिवार में कोई मृत्यु नहीं हुई।
✅ केस 4: मृतका समा बाई (84) का शव 4 अप्रैल को एम्स रायपुर से बीजापुर ले जाने की जानकारी दी गई, लेकिन जिनका नाम और नंबर दिया गया था, वह रायपुर के कबीर नगर के निवासी निकले।
बजट और भ्रष्टाचार के आंकड़े
📌 हर साल मुक्तांजलि एंबुलेंस योजना का बजट: ₹18-20 करोड़
📌 पिछले 5 वर्षों में खर्च हुई राशि: लगभग ₹100 करोड़
📌 बिना जांच भुगतान: 70% बिल सीधे मंजूर
📌 कथित रूप से हर साल छोड़े गए शव: 38,000-40,000
📌 रोजाना मुक्तांजलि सेवा के लिए कॉल: लगभग 500
जिम्मेदार अधिकारी चुप, मंत्री ने दिए जांच के आदेश
मुक्तांजलि एंबुलेंस के नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया और जिम्मेदारी से बचते नजर आए।
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल ने कहा कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गड़बड़ी में शामिल किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में गरीबों की सेवा के नाम पर घोटाला करके मरीजों की मौत पर भी मुनाफाखोरी हो रही है। सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना गरीब परिवारों को मदद पहुंचाने के लिए थी, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और एजेंसियों ने इसे कमाई का जरिया बना लिया। अब देखना होगा कि क्या सरकार इस मामले में सख्त कार्रवाई करती है या भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश की जाएगी।
