रायपुर (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण में हुए बदलाव को लेकर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। भाजपा और कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहें हैं। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नंद कुमार साय अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण को लेकर अनिश्चितकालिन धरने पर बैठ गए है। वहीं राज्य सरकार आरक्षण संशोधन विधेयक लाने जा रही है। इसी के लिए एक और दो दिसम्बर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है।
नंद कुमार साय ने कहा कि “हसदेव अरण्य” की कटाई और बस्तर के दर्द का प्रतिबिंब ‘सिलगेर’ में आदिवासियों की नृशंसा हत्याओं से आज तक आदिवासी समाज सदमें में है। वहीं देखते ही देखते सरगुजा और बस्तर में होने वाली तृतीय चतुर्थ वर्ग की भर्ती में स्थानीय निवासियों के आरक्षण को समाप्त करके शून्य कर देने का निर्णय सरकार की नाकामी से हो गया। कोई शक नहीं है कि सरकार की घोर लापरवाही से ही आदिवासी समाज का 32 प्रतिशत से आरक्षण सीधे 20 प्रतिशत रह जाना धीरे-धीरे आदिवासी समाज को पूरी तरह से बर्बाद कर देने की स्पष्ट मंशा की ओर बढ़ता हुआ कदम है। जिससे पूरे प्रदेश का आदिवासी समाज अत्यंत उद्वेलित और आक्रोशित है, और हर स्तर पर निरंतर आंदोलनरत है।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने रायपुर में अनिश्चितकालिन आंदोलन धरना प्रदर्शन “उलगुलान” का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि धरना प्रदर्शन तब तक निरंतर जारी रहेगा, जब तक आदिवासी समाज का उसके प्रतिनिधित्व के हिसाब से आरक्षण पूर्ववत् स्थापित नहीं हो जाता है।
बिलासपुर उच्च न्यायालय के निर्णय से अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है। इसको गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। बाद में कई और याचिकाएं दाखिल हुईं। लेकिन उसकी तरफ से आदिवासी समाज को दिये जा रहे 32 फीसदी आरक्षण को असंवैधानिक साबित करने के कारण अदालत के आदेश से पूरा आरक्षण रोस्टर खत्म हो चुका है। आरक्षण खत्म होने से आदिवासी समाज समेत कई अन्य वर्ग के लोगों ने जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। जिसे खत्म करने के लिए सरकार ने विधानसभा का सहारा लिया है।
छत्तीसगढ़ सरकार लाएगी विधेयक
बता दें कि छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार आरक्षण संशोधन विधेयक लाने जा रही है। एक और दो दिसम्बर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। यह भी बताया जा रहा है कि आरक्षण पर संशोधन विधेयकों का प्रारूप तकरीबन तैयार है। 24 नवम्बर को राज्य कैबिनेट की बैठक में प्रस्तावित आरक्षण विधेयकों और संकल्प का प्रारूप चर्चा के लिए आएगा। सब कुछ सरकार के अनुकूल रहा तो उसे मंजूरी दे दी जाएगी।